खरी-खरीनहीं प्रेम का एक दिन, प्रेम करो हर रोज। प्रेम शाश्वत भावना, यह जीवन…
साहित्य
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खरी-खरीवक़्त न देखे जात-पाँत और वक़्त न देखे पैसा।’ हो ग़रीब-धनवान सभी को वक़्त…
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खरी-खरीसंसद बनकर रह गयी, दंगल का मैदान। काम तनिक होता नहीं, होते बहस-बयान।। होते…
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खरी-खरीऊपर वाले है तेरी, माया अपरंपार। तुर्की में भूकंप ने, लीले कई हजार।। लीले…
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विविधासाहित्य
भटकी हुई हिंदी आलोचना को साधने का प्रयास है -ग्रंथ जयशंकर प्रसाद महानता केआयाम
by zadminby zadminजयशंकर प्रसाद के संपूर्ण साहित्य का बोध कराने वाला ग्रन्थ है जयशंकर प्रसाद महानता के आयाम-…
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मौसम फगुनाया पुनः,ठोक रहा है तालगली-गली उड़ने लगे, फिर से रंग गुलालफिर से रंग…
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कामगार साहित्य सम्मेलन २४,२५ फरवरी को विशेष संवाददाता मुंबई , 17 वां राज्य स्तरीय…
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कितना भी कर लीजिए,पंजा वालों खासकभी नहीं हो सकेगा,तोहरा पप्पू पासतोहरा पप्पू पास,बैंकाक का…
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खरी-खरीआया देखो ऋतुराज, सजा है बसंती साज। कोकिला लगी है सुनो, कुहू-कुहू बोलने।। खेतों…
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खरी-खरीअसली मुद्दे छोड़ कर, करते व्यर्थ प्रलाप। मुर्दे गड़े उखाड़ कर, क्या पायेंगे आप।।…