नक्सली बन सकते थे लेकिन विपक्ष के नेता बन गए विजय वडेट्टीवार
संजीव शुक्ल
मुंबई@nirbhaypathik:, आखिरकार विधानसभा में विपक्ष का नेता गुरुवार को मिल ही गया। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने गुरुवार 3 अगस्त की दोपहर को कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार को विधानसभा में विपक्ष का नेता घोषित कर दिया । वह दूसरी बार विपक्ष के नेता बने हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार के इस्तीफा देकर शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल होने के बाद से ही यह पद रिक्त था। 17 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र का शुक्रवार 4 अगस्त को समापन हो जाएगा। उसके डेढ़ दिन पहले यह नियुक्ति हुई है।
शिवसेना और राकांपा में हुए बगावत के बाद राज्य में कांग्रेस विधानसभा में नंबर दो की पार्टी बन गई। विधानसभा में पार्टी के 45 विधायक हैं। विपक्ष का नेता तय करने में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने लंबा समय लगा दिया। आखिरकार चंद्रपुर जिले की ब्रह्मपुरी सीट से कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार के नाम पर मुहर लगा दी। दिल्ली नेतृत्व ने राज्य इकाई को यह भी सूचित किया कि वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोरात कांग्रेस विधायक दल के नेता बने रहेंगे। वडेट्टीवार की नियुक्ति के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अभिनंदन प्रस्ताव रखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता और विपक्ष एक रथ के दो पहिये हैं। सक्षम लोकतंत्र के लिए विपक्ष के नेता का होना आवश्यक है। विपक्ष के नेता का पद लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने वडेट्टीवार को बधाई देते हुए कहा कि वह कट्टर शिवसैनिक रहे लेकिन कांग्रेस में जाने के बाद भी उन्होंने 80 फीसदी सामाजिक कार्य और 20 फीसदी राजनीति के फॉर्मूले का पालन किया। उन्होंने उद्धव ठाकरे का नाम लिए बगैर तंज कसा की कुछ लोग बालासाहब के साथ रहे लेकिन उनमें वह बात नहीं दिखती। मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि जिनके कारण शिवसेना छोड़ी उन्हीं से फिर साबका पड़ा। नारायण राणे के साथ वडेट्टीवार शिवसेना छोड़कर कांग्रेस गए थे लेकिन नारायण राणे यहाँ ( भाजपा ) में हैं। मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि विपक्ष के नेता पद पर नियुक्ति पहले दिन ही होनी चाहिए थी। चुनाव में डेढ़ वर्ष हैं तो वडेट्टीवार को विपक्ष के नेता का पद दिया गया है लेकिन 2024 में हमारी ( शिवसेना + भाजपा + अजित पवार गुट ) की 100 फीसदी सत्ता आएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी उम्मीद जताई कि वे विपक्ष के नेता के रूप में राजनीति को किनारे रखकर महाराष्ट्र को देश में शीर्ष स्थान पर ले जाने में सहयोग करेंगे। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विदर्भ में लोग उन्हें ‘विजु भाऊ’ कहते हैं। बुलंद आवाज वाले वे आक्रामक हैं तो स्वभाव से मृदुल भी हैं। विदर्भ में किसानों की समस्याओं को उन्होंने वर्षों से उठाया है। वह एक जमीन से जुड़े नेता हैं। वह पहले एनएसयूआई के संपर्क में आये। फिर शिवसेना के संपर्क में आये। नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ी तो वह भी नारायण राणे के साथ कांग्रेस चले गए। विपक्ष के नेता का काम है कि सरकार जब गलती करे तो उसे पुरजोर तरीके से इसका अहसास दिलाये। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि जब वडेट्टीवार को मंत्री बनाया गया था तो महत्वपूर्ण मंत्रालय नहीं दिया गया था। मेरा छींटाकशी करने का स्वभाव नहीं है लेकिन जिस विपक्ष के नेता पद पर आने के लिए अशोक चव्हाण नहीं तैयार हुए। बालासाहेब थोरात नहीं आये। अब लड़ना है तो उस पद पर तुमको भेज दिया। पवार ने कहा कि आक्रामक स्वभाव, सामाजिक मुद्दों की जानकारी और वैचारिक बैठक करने वाले विजय वडेट्टीवार अपने कर्तव्यों से नहीं चूकेंगे। वे अपनी जिम्मेदारी पूरी लगन से निभाएंगे। विपक्ष के नेता पद की एक लंबी परंपरा है। इस पद पर काम करने वाले लोग आगे चलकर राज्य और केंद्र में भी बड़े पदों पर काम कर चुके हैं।
अभिनंदन प्रस्ताव का उत्तर देते हुए विजय वडेट्टीवार ने कहा कि वे आम जनता के लिए हमेशा आवाज उठाते रहेंगे। वडेट्टीवार ने कहा कि वे लंबे संघर्ष के बाद इस पद तक पहुंचे हैं। युवावस्था में तेंदू पत्ते का भी काम करना पड़ा। पढ़ाई में अड़चन आयी। एक बार तो नक्सलियों से मिलने गया तो वहां पहचानने वाले ने कहा दादा आये हो तो अब जाते क्यों हो यहीं रहो मुझे पसीना छूट गया। किसी तरह से वहां से निकल पाया, नहीं तो आज वहीं होता, यहाँ नहीं पहुंचता। गढ़चिरोली जैसे दुर्गम और आदिवासी क्षेत्र के मेरे जैसे व्यक्ति को यह पद दिया गया। मुझे आम लोगों, किसानों की समस्याओं के बारे में जानकारी है। हम किसी भी प्रश्न को केवल राजनीति की भावना से न देखते हुए आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए सदैव कार्य करते रहेंगे। सत्तापक्ष के 210 विधायकों से लड़ने के लिए संख्या नहीं लगती है उसके लिए ईमानदारी और क्षमता लगती है। मैं डरुंगा नहीं और ईमानदारी से अपना काम करुंगा। उन्होंने कहा कि अभिनंदन करते हुए हमारी खिंचाई की गई लेकिन जिन पांच विपक्ष के नेताओं का नाम लिया गया उसमें देवेंद्र फडणवीस को छोड़कर चारों ( एकनाथ शिंदे , अजित पवार, राधाकृष्णविखे पाटिल, छगन भुजबल ) यह दोनों तरफ रहे। अभिनंदन प्रस्ताव पर बाला साहेब थोरात, जयंत पाटिल, भास्कर जाधव, कालिदास कोलंबकर, नाना पटोले ने भी अपने विचार रखे। अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि विपक्ष का नेता संवैधानिक पद नहीं होता तो भी विधिमंडल में इसका बहुत महत्व है। वडेट्टीवार को मंत्री बनने पर महत्वपूर्ण महकमा नहीं मिला यह खेद जताया गया लेकिन इस पद पर उनकी हुई नियुक्ति ने इस कमी को पूरा कर दिया। उन्होंने बताया कि जयंत पाटिल ने इसके पहले जितेन्द्र अव्हाड को विपक्ष का नेता नियुक्त करने को कहा था लेकिन 2 अगस्त को जीतेन्द्र अव्हाड का विपक्ष के नेता पद से नाम वापस लेने के लिए कहा तब बालासाहब थोरात ने विजय वडेट्टीवार को विपक्ष का नेता बनने के लिए पत्र दिया। तीन हफ्ते में कांग्रेस का कोई पत्र विपक्ष के नेता पद के लिए नहीं आया था । @congress#vadettiwar@politics