महापुरुषों की भूमि में लोकमान्य तिलक के नाम का पुरस्कार मिलना सौभाग्य की बात – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मुंबई@nirbhaypathik: पुणे के एस.पी. महाविद्यालय में आयोजित भव्य समारोह में लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि 1 अगस्त पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार के रूप में एक स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र और एक लाख रुपये प्रदान किए गए। उन्होंने पुरस्कार की राशि नमामि गंगे के लिए देने की घोषणा की। इस अवसर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोकमान्य तिलक के नाम पर पुरस्कार पाना मेरा सौभाग्य है। यह पुरस्कार मैं देश के 140 करोड़ लोगों को समर्पित करता हूँ। इससे मेरी जिम्मेदारी बढ़ गयी है। तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा बदल दी थी। महात्मा गांधी ने तिलक को आधुनिक भारत का निर्माता कहा था। तिलक को भारत के सामर्थ्य पर विश्वास था। वह जब गुजरात में एक कार्यक्रम को संबोधित किये थे तो उस समय वहां वहां 40 हजार लोगों की भीड़ आयी थी। वल्लभ भाई पटेल ने तिलक को श्रोताओं में बैठकर सुना था। कार्यक्रम में राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री अजित पवार, वरिष्ठ नेता सांसद शरद पवार, लोकमान्य तिलक स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. दीपक तिलक, ट्रस्टी सुशीलकुमार शिंदे, डॉ. रोहित तिलक, गीताली तिलक, डॉ. प्रणति तिलक एवं अन्य उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि लोकमान्य तिलक ने आजादी की लड़ाई की दिशा बदल दी। देश की संस्कृति और परंपराएं महान हैं, ऐसा विश्वास उन्होंने लोगों में निर्माण किया। वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने लोगों में यह विश्वास जगाया कि देश स्वतंत्र हो सकता है। देश के सामने सहयोग का एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया। स्वतंत्रता संग्राम में समाचार पत्रों के महत्व को पहचानते हुए उन्होंने ‘केसरी’ और ‘मराठा’ समाचार पत्र शुरू किये । आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ने के साथ-साथ उन्होंने समाज की कुरीतियों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा किउन्होंने गीतारहस्य के माध्यम से कर्म योग को सरल तरीके से समझाया । वह लोगों पर विश्वास करते थे । लोगों की उपलब्धियों पर, प्रामाणिकता पर हम भी विश्वास करते हैं । देश में विश्वास से भरा सकारात्मक माहौल बना है। यही कारण है कि देश तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है । हम लोकमान्य तिलक के विचारों का देश बनाने का प्रयास कर रहे हैं। लोकमान्य तिलक एक समृद्ध, शक्तिशाली, उत्पादक देश बनाने की आशा रखते थे । इसके लिए उन्होंने देश में विश्वास का माहौल बनाया । उनसे प्रेरणा लेकर उस समय अनेक युवाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया । उनमें से एक महत्वपूर्ण उदाहरण स्वतंत्रता सेनानी सावरकर थे । तिलक ने स्वतंत्रता सेनानी सावरकर को छात्रवृत्ति देने की भी सिफारिश की ताकि वे इंग्लैंड जाकर बैरिस्टर बन सकें।
न्यू इंग्लिश स्कूल, डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी, फर्ग्यूसन कॉलेज जैसी संस्थाओं की स्थापना उनकी दूरदर्शिता को दर्शाती है । इस संस्था से कई युवा निकले जिन्होंने तिलक के मिशन को आगे बढ़ाया । राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाई. व्यवस्था निर्माण के माध्यम से संस्थाओं के निर्माण, संस्था निर्माण के माध्यम से व्यक्ति निर्माण और व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण का विजन राष्ट्र के भविष्य के लिए मार्गदर्शक साबित होता है । आज देश प्रभावी ढंग से इस ओर आगे बढ़ रहा है। श्री मोदी ने कहा कि देश की जनता के विश्वास और प्रयासों के कारण ही देश आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है । लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के नाम से मिले इस पुरस्कार की धनराशि ‘नमामी गंगे’ प्रकल्प को देने की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने इस समय की ।
लोकमान्य तिलक को अपेक्षित देश की निर्मिती करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि लोकमान्य तिलक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के जनक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनके संघर्ष के कारण ही हम आजादी के सूरज का अनुभव कर रहे हैं । वह एक प्रखर देशभक्त थे । अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते समय उनकी बातों में धार थी । लोकमान्य तिलक ने जिस देश की अपेक्षा की थी, उसके निर्माण में प्रधानमंत्री मोदी का कार्य महत्वपूर्ण है। आज दुनिया मोदीजी को एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में देखती है । विदेशों में उन्हें जो सम्मान मिलता है उसे देखकर हम देशवासी गौरवान्वित होते हैं ।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा पिछले 9 वर्षों में हमारे देश के लिए किए काम को सार्वजनिक मान्यता मिली है । वह समाज, आम आदमी के मन की बात जानने वाले नेता हैं । देश का नेतृत्व संभालने के बाद उन्होंने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सूत्र को ध्यान में रखते हुए देश में सुशासन बनाने का प्रयास किया है । यह पुरस्कार उनके काम के प्रति एक सम्मान है। जहां बड़े-बड़े देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को 10वें से 5वें स्थान पर लाने का काम किया है।
सांसद शरद पवार ने कहा कि इससे पहले लोकमान्य तिलक पुरस्कार इंदिरा गांधी, खान अब्दुल गफ्फार खान, डॉ. शंकरदयाल शर्मा, अटल बिहारी वाजपेयी, बालासाहेब देवरस, मनमोहन सिंह को दिया गया था। यह खुशी की बात है कि नरेंद्र मोदी इन नेताओं में शामिल हुए हैं। देश के निर्माण में लोकमान्य तिलक और महात्मा गांधी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस कर्तृत्ववान दृष्टि का आदर्श लेकर नई पीढ़ी को निरंतर प्रेरित होती रहेगी। स्वागत करते हुए ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. तिलक ने लोकमान्य तिलक के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का परिचय दिया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 41वां लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार देने के पीछे की भूमिका भी बताई। इस अवसर पर राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल सहित विशेष आमंत्रित सदस्य एवं नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दगडूशेठ हलवाई गणपति का दर्शन और वहां पूजा अर्चना की।