Home मुंबई-अन्य बागी विधायकों को पटाने के लिए 100000 करोड की पूरक मांग स्वाहा !! 

बागी विधायकों को पटाने के लिए 100000 करोड की पूरक मांग स्वाहा !! 

by zadmin

इतनी बड़ी पूरक मांगें विधायक तोड़ने और तोड़े हुए विधायकों को संभालने के लिए – कांग्रेस  

‘भाजपा को भी बहुत कम निधि मिली’

विशेष संवाददाता 

मुंबई @nirbhaypathik: 24 जुलाई  सोमवार को विपक्षी पार्टी  कांग्रेस के विधायक बालसाहब थोरात ने विधानसभा में पूरक मांगों पर चर्चा में भाग लेते  41 हजार करोड़ की पूरक मांग रखने पर सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी पूरक मांगें विधायकों को तोड़ने और तोड़े हुए विधायकों को संभालने के लिए रखी गयी है। जिनको मंत्री नहीं बना सकते उनको भरपूर निधि की खैरात बांटी गयी है  इसमें अन्याय दूर करो नहीं तो हमें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। विधायकों और जनता में इसके कारण असंतोष निर्माण हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार के सत्ता में आये हुए एक साल हो गया है। इस एक साल में चार अधिवेशन हुए। विगत मानसून सत्र में 25 हजार करोड़ रूपये की पूरक मांगें पेश की। नागपुर शीतकालीन अधिवेशन में 52 हजार करोड़ रूपये की बहुत बड़ी  पूरक मांगें रखी। इस अधिवेशन में 41 हजार करोड़ रूपये की पूरक मांगें पेश की गयी हैं। एक साल में केवल पूरक मांगों के माध्यम से  एक लाख बीस हजार करोड़ रूपये बांटे जा रहे हैं यह राज्य की अर्थ व्यवस्था के लिए अच्छे संकेत नहीं है। कुल बजट का पांच से दस फीसदी पूरक मांगें हो ऐसा होना चाहिए लेकिन सरकार इसकी अवहेलना कर रही है। हम भी इसके पहले सरकार में रहे हैं और विपक्ष में भी काम किये हैं।  इतिहास में कभी भी नहीं हुई ऐसी घटना इन पूरक मांगों के द्वारा हुई है। निधि वितरण की सूची दिखाते हुए थोरात ने कहा कि 105 विधायकों वाली सत्ताधारी भाजपा को भी अत्यंत मामूली रकम मिली है। यह योग्य नहीं है। मैंने प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के आंकड़े निकाले हैं आपने 65 फीसदी  रकम सत्ता में शामिल 100 विधायकों को दिया है। मैं इस बारे में केवल आंकड़े बताउंगा , 742 करोड़ ,580 करोड़ ,482 करोड़ , 456 करोड़ , 436 करोड़ , 392  करोड़।  ये सब सैकड़ों करोड़ की रकम है, जिनको आप मंत्री नहीं बना सकते उनको भरपूर निधि देने की बात दिख रही है। आप जब कहते हैं की समानता रखेगें तो एक निर्वाचन क्षेत्र में सैकड़ों करोड़ रूपये खैरात बांटते हैं और बगल के निर्वाचन क्षेत्र में शून्य।  इसको कौन सा न्याय कहेंगें। मैं सदन में एक जिले का उदाहरण दूंगा।  इस जिले में एक ही निर्वाचन क्षेत्र को 735 करोड़ जबकि बाकी सभी जिलों को 215 करोड़ इससे राज्य का तालमेल तो बिगड़ेगा ही, असमानता बढ़ेगी। महाविकास आघाडी सरकार के दौरान मंजूर किये गए कार्यों को वैमनस्य के कारण  स्थगन दिया  है। हमने बार -बार मांग की है। आपके पास पूरक मांगों के लिए 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये है स्थगन उठाने के लिए 2 हजार करोड़ रुपये नहीं बचा यह कैसा न्याय ? थोरात ने कहा कि आपने 41 हजार करोड़ रूपये की पूरक मांगें पेश की लेकिन दूसरी तरफ अनेक विकास कार्यों के लिए सरकार की जो देनदारी है वह बकाया है। केवल अहमदनगर जिले में सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग का 620 करोड़ रूपये अदा करना बाकी है। राज्य भर में यह आंकड़ा 50 हजार करोड़ तक होने की चर्चा है। एक तरफ आप बड़ी – बड़ी घोषणाएं करते हैं।  प्रावधान करते हैं जबकि दूसरी तरफ अनेक विभागों का सरकारी भुगतान बाकी है। अनेक भागों में विकास कार्य इसलिए रुके हैं क्योंकि सरकार ने उनके बिलों का  भुगतान नहीं किया।  

You may also like

Leave a Comment