ललुवा चारा खाइके, लाठी दियो चलाय
पटना लहूलुहान है, लोकतंत्र शरमाय
लोकतंत्र शरमाय,करें सब आंचा-बांचा
तेजस्वी बुमुवाय, कहां है पलटू चाचा
कह सुरेश कविराय खा रहे मिलकर हलुवा
जंगलराज इसी को कहते हैं रे ललुवा
सुरेश मिश्र
ललुवा चारा खाइके, लाठी दियो चलाय
पटना लहूलुहान है, लोकतंत्र शरमाय
लोकतंत्र शरमाय,करें सब आंचा-बांचा
तेजस्वी बुमुवाय, कहां है पलटू चाचा
कह सुरेश कविराय खा रहे मिलकर हलुवा
जंगलराज इसी को कहते हैं रे ललुवा
सुरेश मिश्र