Home विविधासाहित्य खरी-खरी: सुरेश मिश्र

खरी-खरी: सुरेश मिश्र

by zadmin

ललुवा चारा खाइके, लाठी दियो चलाय
पटना लहूलुहान है, लोकतंत्र शरमाय
लोकतंत्र शरमाय,करें सब आंचा-बांचा
तेजस्वी बुमुवाय, कहां है पलटू चाचा
कह सुरेश कविराय खा रहे मिलकर हलुवा
जंगलराज इसी को कहते हैं रे ललुवा

सुरेश मिश्र

You may also like

Leave a Comment