करो न सीमा से अधिक,सीमा पर विश्वास
सीमाओं को लांघकर,रचा रही ये रास
रचा रही ये रास, खास लोगों की चेली
कर न सका जो ‘जैश’,करेगी यहां अकेली
कह सुरेश हे शाह,करा लो सबका बीमा
समझ नहीं फुलझड़ी,हायड्रो बम है सीमा
सुरेश मिश्र
करो न सीमा से अधिक,सीमा पर विश्वास
सीमाओं को लांघकर,रचा रही ये रास
रचा रही ये रास, खास लोगों की चेली
कर न सका जो ‘जैश’,करेगी यहां अकेली
कह सुरेश हे शाह,करा लो सबका बीमा
समझ नहीं फुलझड़ी,हायड्रो बम है सीमा
सुरेश मिश्र