नरेंद्र मोदी लिखित पुस्तक सेतुबंध ‘के मराठी अनुवाद काआरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने किया विमोचन
संजीव शुक्ल
मुंबई,@nirbhaypathik: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं स्वर्गीय राजाभाऊ नेने द्वारा अतीत में लिखी गयी गुजराती ग्रन्थ ‘सेतुबंध ‘ का अब मराठी में अनुवाद किया गया है। इस पुस्तक के मराठी संस्करण का विमोचन मंगलवार 4 जुलाई की शाम को नरिमन पॉइंट स्थित यशवंत राव चव्हाण सभागृह में किया गया। जिसमें समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने की। यह पुस्तक आर एस एस के लक्ष्मण माधव इनामदार जो कि वकील साहब के नाम से मशहूर थे पर लिखी गयी है। इसका मराठी अनुवाद संजय हेमंत इनामदार ने किया है। उनका मार्गदर्शन अशोक कामत ने किया है। इस अवसर पर पर मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक जबकि विशेष अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक विमल केडिया थे। इस अवसर पर बोलते हुए समारोह अध्यक्ष डॉ मोहन भागवत ने कहा कि लक्ष्मण राव इनामदार ने अपने व्यवहार से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्य पद्धति का आदर्श उद्देश्य समाज के सामने रखा। उन्होंने संगठन कुशलता को आत्मसात किया था। संघ का विचार जिन्हें मूलरूप से समझा ऐसे लोगों में से एक इनामदार थे। संघ के विचार को स्वयंसेवक अपने आचरण में लाएं इसके लिए वह जोर देते थे। उसके कारण ही गुजरात में संघ का काम देश में सबसे आगे था। कार्यकर्ताओं का बिना मन न दुखाये उनकी कमियां, उनकी गलतियां बताना और उससे कार्यकर्ताओं को सीखने के लिए प्रेरित करना उनकी कार्य शैली थी। इस कार्य शैली के कारण असंख्य कार्यकर्ताओं का उदय हुआ । वे बीमार पड़ने पर शरीर में होनेवाले दर्द को दिखाए बिना संघ के कार्य में में सक्रिय रहते थे। वह जीवन के सभी क्षेत्रों में संघ, स्वयंसेवकों की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने का प्रयास करते थे। ऐसा करते हुए उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि संघ के मूल्य बरकरार रहें और दिशा न भटके। यही उनका व्यक्तित्व था। इस अवसर पर विमल केडिया ने लक्ष्मणराव इनामदार के साथ अपने संस्मरण सुनाये और एक प्रसंग को बताते हुए कहा कि उन्होंने एक प्रसंग में कहा था कि जब कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया तो वहां दो ही लोग थे। इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का संचालन प्रकाशक आनंद लिमये ने किया। यह किताब तीन भाषाओं गुजराती , हिंदी , मराठी में उपलब्ध है। कार्यक्रम में पधारे महानुभवों को यह पुस्तक निशुल्क प्रदान की गयी। इस किताब में संघ के साथ काम करते हुए नरेंद्र मोदी का लक्ष्मण राव इनामदार के साथ क्या अनुभव रहा इसका भी उल्लेख है।