जिन लोगों को 2000 के नोटों का हिसाब देने में दिक्कत है वे इस फैसले के खिलाफ शोर मचा रहे हैं – भंडारी
विशेष संवाददाता
मुंबई(@nirbhaypathik):2000 के नोट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है, इस नोट को चलन से बाहर नहीं किया गया है। जिन लोगों को इन नोटों को बैंक में जमा करते समय हिसाब – किताब देने में दिक्कत होगी । वे लोग ही इस फैसले के खिलाफ शोर मचा रहे हैं। इस फैसले से आम आदमी को परेशानी नहीं होगी। यह कहना है भारतीय जनता पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश उपाध्यक्ष माधव भंडारी का। वे सोमवार को नरिमन पॉइंट स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित पत्रकार परिषद को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर प्रदेश प्रवक्ता गणेश हाके, मीडिया विभाग के सह संयोजक ओमप्रकाश चौहान मौजूद रहे। भंडारी ने कहा कि 2000 के नोट को रद्द नहीं किया गया है। यह नोट एक अस्थायी व्यवस्था के रूप में पेश किया गया था। इस नोट की छपाई 2 साल पहले बंद कर दी गई है। इसकी जानकारी भी सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर दी जाती थी। इन नोटों को वापस नहीं लिया गया है। नोट बदलने की अवधि खत्म होने के बाद भी गणना के जरिए इन नोटों को बदला जा सकता है। निर्णय लेने की इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी आम आदमी को कोई भी नुकसान नहीं होगा। और न ही नोट बदलने की प्रक्रिया में आम आदमी को कोई असुविधा होगी। ऐसा होते हुए भी लोग केवल व्यक्तिगत कारणों से इस निर्णय के बारे में भ्रांतियां फैला रहे हैं।डिजिटलाइजेशन ने कुल मिलाकर आम आदमी के नकद लेन-देन को कम कर दिया है। आम आदमी द्वारा 2000 के नोटों के उपयोग की मात्रा कम है। प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 10 नोट बदले जा सकते हैं। आम आदमी के पास इन नोटों की मात्रा को देखते हुए वह इन नोटों को निर्धारित समय में आसानी से बदल सकता है। इन नोटों के इस्तेमाल को सीमित करने के फैसले से आम आदमी को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा। जिन लोगों को डर है कि इस फैसले से उन्हें नुकसान होगा वही इसका विरोध कर रहे हैं। निर्धारित अवधि के बाद भी नोट बदलने की व्यवस्था की गई है। लेकिन उसके लिए इस राशि का हिसाब देना होगा । हिसाब देने में जिन्हें दिक्कत है वही लोग इसके बारे में शोर मचा रहे हैं।