विवेक प्रकाशित हिंदुत्व ग्रन्थ का लोकार्पण संपन्न
विशेष संवाददाता
मुंबई(निर्भय पथिक):दादर प्रभादेवी स्थित रविंद्र नाट्य मंदिर में रामनवमी 30 मार्च को आयोजित कार्यक्रम में साप्ताहिक विवेक द्वारा प्रकाशित ‘हिंदुत्व’ ग्रन्थ का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ( आर एस एस ) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भैया जी जोशी के हाथों किया गया। 458 पेज के इस ग्रन्थ में 10 विभाग हैं और इनमें 95 लेख हैं। इसका संकलन रविंद्र गोले ने किया। इस ग्रन्थ में भैया जी जोशी का भी लेख निहित है। इस लोकार्पण अवसर पर प्रमुख अतिथि के तौर महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ,इस्कॉन के कृष्ण चैतन्य दास मौजूद थे। श्री जोशी ने विवेक प्रकाशन की वेबसाइट को रिमोट दबा कर शुरू किया। विवेक की कार्यकारी संपादक अश्विनी मयेकर ने बताया कि साप्ताहिक विवेक का प्रकाशन साल 1948 से हो रहा है। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का संदेश पढ़कर सुनाया गया। इस सन्देश में उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि यह खुशी की बात है कि साप्ताहिक विवेक की तरफ से ‘हिंदुत्व ‘ के ऊपर विशेषांक प्रकाशित हो रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को आना था निमंत्रण पत्र में उनका नाम भी छपा था। लेकिन ऐन वक्त पर मंच से घोषित किया गया कि तकनीकी कारण से मुख्यमंत्री कार्यक्रम में नहीं आयेगें । मुख्यमंत्री का संदेश पढ़कर सुनाया गया। हिन्दुस्तान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष रमेश पतंगे ने कहा 1948 में शुरू हुए साप्ताहिक विवेक का जो हिंदुत्व पर रुख था वह आज भी वैसा है। इस अवसर पर भैया जी जोशी ने कहा कि विवेक ने एक बड़ा काम हाथ में लिया और उसको पूरा किया। विवेक की एक परम्परा है। इसके नाम में ही विवेक है इसलिए काम में भी विवेक है। अमृत पर्व चालू है। देश में अमृत पर्व है। विवेक का अमृत पर्व है। उन्होंने कहा कि इतिहास बताता है कि एक समय ऐसा था कि हिन्दू, हिंदुत्व एकदम निजी और चुपचाप तरीके से पालन किया जाता था। उसके बाद इसका प्रसार हुआ और टीका टिप्पणी शुरू हो गयी। स्वाभिमान से हिन्दू जीना चाहिए ऐसा हुआ और करोड़ों की संख्या में हिन्दू गर्व से खड़ा है। श्री जोशी ने कहा कि संकलन करके बनाया गया यह ग्रन्थ उनके लिए है जो स्वयं को हिन्दू मानते हैं विरोधियों के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व जीने की शैली है। हिंदुत्व यह जीने का तरीका है कि चर्चा का यह विवाद का विषय नहीं है। इसका एक पक्ष है और एक विपक्ष है ऐसा नहीं है। जो विषय जीने का होता है उसका साधारणतः दूसरा पक्ष नहीं होता। अपना कुछ विशेष जीवन है वह दुनिया से अलग है। इसमें तीन बातें हैं। यह वैश्विक है। यह सर्वकालिक है। यह हजारों साल पहले था आज भी है। यह सब के लिए है ऐसा चिंतन है न कि, किसी एक मानव समूह के लिए। किसी भी मनुष्य को लागू हो ऐसा अपना चिंतन है। इसलिए कभी भी यह काल बाह्य वाली बात नहीं है। कोई यह नहीं कह सकता कि यह काल विसंगति है. यदि वह इसे काल बाह्य कहता है तो यह उसकी अज्ञानता है । हिंदुत्व कभी काल बाह्य नहीं हो सकता। यह राजनीति का विषय नहीं है। समाजकारण का विषय नहीं है। यह जीने का विषय है। उन्होंने कहा कि हमें भूतकाल से सीखना है। वर्तमान में संयम रखना है। भविष्य कैसे बेहतर बने यह देखना है। उन्होंने कहा कि हमें पूजा , देवदर्शन में कोई संकोच करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि अमरनाथ यात्रा और कुल्लू मनाली जाने वाले कि मानसिकता में अंतर होता है। हिमालय के एक ऊंचाई पर केदारनाथ और बद्रीनाथ में जाने वाले और दूसरी तरफ कुल्लू मनाली जाने वाले की भावना में अंतर होता है भले ऊंचाई एक हो। हवामान एक हो। एक जगह वह धार्मिक यात्रा करता है जबकि दूसरी जगह मौज के लिए जाता है । भावना की ऊंचाई एक नहीं है अलग है। श्री जोशी ने कहा कि हिन्दू धर्म से किसी को घबराने की ज़रूरत नहीं है। हिन्दू की बढ़ती शक्ति सभी के लिए संरक्षक है आक्रामक नहीं है। इसके पहले मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा था कि हिंदुत्व विषय ऐसा है कि इसके स्मरण से धमनियों में लहू तेज हो जाता है। यह शौर्य का विषय है। यह हमारे पूर्वजो के त्याग , तपस्या को याद दिलाता है। भैया जी जोशी के सामने इस बारे में कुछ कहना ऐसा है कि किसी को राम मिल जाये और हम उसके सामने रामायण का बखान करें। इस्कॉन के कृष्ण चैतन्य दास ने भी वक्तव्य दिया। कार्यक्रम में साप्ताहिक विवेक के प्रबंध संपादक दलीप करंबेलकर ,नवी मुंबई स्थित एस एस हाई स्कूल के अध्यक्ष कमलेश पटेल आदि गणमान्य मंच पर मौजूद थे।