मुंबई महानगरपालिका में हुआ है बेतहाशा भ्रष्टाचार
संजीव शुक्ल
मुंबई (निर्भय पथिक) :महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 25 मार्च को कैग की रिपोर्ट सदन में रखी। इसके साथ ही उन्होंने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट भी विधानसभा में पेश की। उन्होंने अपवाद के तौर पर इसका कुछ अंश सदन में पढ़कर सुनाया। महानगर पालिका के 12 हजार 23 करोड़ 88 लाख रुपये के काम की जाँच करने के लिए ‘कैग’ ने 31 अक्टूबर 2022 को आदेश दिया है। यह रकम मुंबई महानगर पालिका के 9 विभागों द्वारा खर्च की गयी है। यह काम 28 नवंबर 2019 से 31अक्टूबर 2022 दौरान हुए थे। स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट को 14 नवंबर 2022 को कैग की मंजूरी मिली। मुंबई महानगर पालिका ने कोविड नियम का आधार लेते हुए 3 हजार 5 सौ 38 करोड़ 73 लाख के कामों की जांच नहीं करने निर्णय लिया। इसका मतलब यह हुआ कि कोरोना की बीमारी के दौरान जो 3538.73 करोड़ खर्च किये गए उसकी जाँच नहीं की गयी। कैग ने जांच में जो पाया है उसमें बीएमसी ने बिना टेंडर निकाले ही 2 विभागों के 20 कामों जो कि 214 करोड़ 48 लाख के लागत के थे उसको दिया। 4 हजार 7 सौ 55 करोड़ 94 लाख के काम कुल 64 ठेकेदारों एवं बीएमसी के साथ करार न होने के कारण क्रियान्वयन नहीं हुआ। करार नहीं होने से बीएमसी को कार्रवाई का अधिकार नहीं है। 3 हजार 3 सौ 55 करोड़ 57 लाख के तीन विभाग के 13 कामों का थर्ड पार्टी ऑडिटर नियुक्ति नहीं हुई। इसलिए काम कैसे हुआ यह देखने वाली यंत्रणा नहीं है। ‘कैग ‘ रिपोर्ट में कहा कि इन कामों में पारदर्शिता का अभाव है। इसमें सिस्टमैटिक प्रॉब्लम है। घटिया नियोजन है। इसमें निधि का लापरवाही से उपयोग किया गया है। दहिसर में 32 हजार 3 सौ 94.9 मीटर जगह जो कि बाग, खेल के मैदान, मैटरनिटी होम के लिए 1993 के डीपी के अनुसार आरक्षित था। जिसका दिसम्बर 2011 में बीएमसी का अधिग्रहण का प्रस्ताव हुआ था। अंतिम भूसंपादन का मूल्यांकन 3 सौ 49 करोड़ 14 लाख हुआ जो कि 2011 की अपेक्षा 716 फीसदी अधिक है। इस पर 2 सौ 6 करोड़ 16 लाख अधिक लगे। इस जगह पर अतिक्रमण हुआ।अब उनके पुनर्वसन के लिए 77 करोड़ 80 लाख का आर्थिक बोझ और बढ़ गया । इसमें और वृद्धि होने की संभावना भी है । इस रकम से बीएमसी को कोई फायदा नहीं। बीएमसी के सूचना तकनीकी विभाग में भी धांधली हुई है। एस ए पी इम्प्लीमेंटेशन विभाग में 1 सौ 59 करोड़ 95 करोड़ का ठेका निविदा नहीं मंगाते हुए पहले के ठेकेदार को दिया। एस ए पी इंडिया लिमिटेड को साल भर के लिए 37 करोड़ 68 लाख मेंटेनेन्स के लिए दिए। लेकिन इसके बदले में कोई सेवा नहीं ली गयी। 2019 को फॉरेंसिक ऑडिट इसमें मैनुपुलेशन की गंभीर बात सामने आयी लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। बीएमसी के ब्रिज विभाग में भी गड़बड़ियां हुई हैं। डॉ ई मोजेस रोड एवं केशव राव खाडे मार्ग ( महालक्ष्मी रेलवे स्टेशन ) में मान्यता नहीं होते हुए अतिरिक्त काम दिए गए। ठेकेदारों को बीएमसी की तरफ से अतिरिक्त फेवर किया गया। निविदा की जो शर्तें हैं उसका उल्लंघन करते हुए 27 करोड़ 14 लाख का लाभ पहुंचाया गया । 16 मार्च 2022 को 50 फीसदी काम पूरा अपेक्षा थी लेकिन केवल 10 फीसदी काम पूरा हुआ। संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान में 4.3 किलोमीटर का ट्विन टनल वन विभाग की अंतिम अनुमति नहीं ली। जनवरी 19 से अगस्त 2022 तक लागत 4 हजार 5 सौ से बढ़कर 6 हजार 3 सौ 22 करोड़ पर पहुँच गयी। परेल टीटी फ्लॉय ओवर का 1 करोड़ 65 लाख का काम निविदा न मंगाते हुए किया गया। अँधेरी के गोपाल कृष्ण गोखले पुल का 9 करोड़ 19 लाख का काम बिना टेंडर दिया गया। पुल को गिराने के लिए 15 करोड़ 50 लाख देना था लेकिन प्रत्यक्ष तौर पर 17 करोड़ 49 लाख अदा किया गया । रस्ते और परिवहन विभाग के 56 कामों का कैग की तरफ से अध्ययन किया गया 52 में से 51 काम का कोई भी सर्वे नहीं करते हुए सीमेंट कांक्रीटीकरण के लिए चुना गया। 54 करोड़ 53 लाख के कामों को निविदा नहीं मंगाते हुए पुराने कार्यों से जोड़ा गया। एम – 40 के लिए माइक्रो सिलिका इस घटक का उपयोग किया जाता है वह बिल में दिखाया जाता है लेकिन 2 करोड़ 40 लाख के मूल्य का सिलिका का उपयोग ही नहीं किया गया। केईएम अस्पताल में स्नातक , स्नाकोत्तर हॉस्टल टावर बनाने के लिए निर्माण कार्य अधिकारी के अनुमति के बिना ही किया गया जिससे 2 करोड़ 70 लाख का दंड हुआ। मीठी नदी प्रदूषण नियंत्रण के तहत जुलाई 2019 में 4 विभिन्न काम 4 विभिन्न ठेकेदारों को 24 महीने की अवधि में देने का बीएमसी ने निर्णय लिया लेकिन प्रत्यक्ष में चारो ही काम एक ही ठेकेदार को मिला।