नवीन कुमार
मुंबई (निर्भय पथिक)। विकास के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट खड़े हो जाते हैं, क्योंकि प्रोजेक्ट पीड़ित जमीन देते हैं। इसलिए राज्य के विकास में प्रोजेक्ट पीड़ितों का बहुत बड़ा योगदान है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधान परिषद में कहा कि राज्य सरकार उनके सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक उत्थान के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि रोजगार, स्वरोजगार, कौशल विकास, उद्योग आदि के माध्यम से उन्हें उन्नति के अवसर प्रदान करने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की जाएगी।सदस्य एकनाथ खडसे के ध्यानाकर्षण सूचना पर विस्तार से जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री शिंदे ने बताया कि 21 जनवरी 1980 के शासनादेश के अनुसार सरकारी सेवा भर्ती में परियोजना प्रभावित व्यक्तियों या उनके आश्रितों को कुल सीटों के पांच प्रतिशत तक सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी। हालांकि, उसके बाद इस संबंध में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए विभिन्न निर्णयों के अनुसार यह निर्देश दिया गया था कि सभी सरकारी, अर्द्ध-सरकारी विभागों में रिक्त पदों को भरने के लिए सभी मीडिया के माध्यम से विज्ञापन प्रकाशित कर आवेदन आमंत्रित किए जाएं। तदनुसार 19 नवंबर 2003 को एक सरकारी परिपत्र जारी किया गया था। इसके बाद भी न्यायालय में दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाने के बाद सरकार ने शासनादेश 27 अक्टूबर 2009 के अनुसार संशोधित आदेश जारी किया। इसके अनुसार परियोजना पीड़ितों की नियुक्तियां विज्ञापन के बिना और उनकी प्रवेश योग्यता और गुणवत्ता के बिना नहीं की जा सकती हैं।
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि परियोजना पीड़ितों को न्याय दिलाना जरूरी है, यह सरकार की भूमिका है। परियोजना पीड़ितों की संख्या करीब चार लाख है। उसकी तुलना में नौकरियों की संख्या कम है। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए परियोजना पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए राहत एवं पुनर्वास विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में संबंधित विभागों के सचिवों की एक समिति नियुक्त की जाएगी। उन्होंने एक अन्य उपप्रश्न का उत्तर देते हुए यह भी कहा कि परियोजना पीड़ितों को पुनर्वासित स्थान पर जगह देने के बाद अधिभोग अधिकार की राशि माफ कर निर्णय लिया जाएगा। इस चर्चा में सदस्य राम शिंदे, शशिकांत शिंदे, प्रवीण दरेकर आदि ने भी भाग लिया।