महाराष्ट्र:‘गो सेवा’ आयोग विधेयक विधानसभा में पारित
विशेष संवाददाता
मुंबई (निर्भय पथिक): शुक्रवार को विधानसभा में महाराष्ट्र गो सेवा आयोग विधेयक पारित कर दिया गया। गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के बाद गो सेवा आयोग बनाने वाला महाराष्ट्र देश का आठवां राज्य बन गया है। संशोधित कानून में उम्रदराज के कत्ल पर प्रतिबंध तथा देशी गाय को विकसित करने पर मुख्य तौर पर ध्यान दिया जाएगा। पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने सदन में बिल पेश करते हुए कहा कि राज्य में गो सेवा आयोग स्थापित करने की मांग हो रही थी। विशेष रूप से गोवंश हत्या पाबंदी को लेकर जो कानून बनाया गया है, जिसके दायरे को बढ़ाने के मद्देनजर यह आयोग स्थापित किया गया है। संशोधित कानून के अनुसार उम्रदराज गोवंश के कत्ल को प्रतिबंधित करने का प्रावधान किए गए हैं। साथ ही संकरित गोवंश को विकसित करने और उनके योग्य नियोजन का प्रयास भी यह आयोग करेगा। इस आयोग के बनने से पशुसंवर्धन से संबंधित केंद्र और राज्य सरकारों के कानूनों का सनियंत्रण करने में मदद मिलेगी। मंत्री ने कहा कि वर्तमान में गोशालाओं की स्थिति ठीक नहीं है, इसमें सुधार के लिए अच्छे नियमन किए गए तो गोशालाओं का विकास होगा। आयोग का उद्देश्य गैर दुधारू जानवरों की देखभाल करना भी है। साथ ही देशी गाय को विकसित करने पर मुख्य तौर पर ध्यान रहेगा।
गो सेवा आयोग पशुधन पालन की निगरानी करेगा और दूध न देने वाले पशुओं को बूचड़खाने में भेजे जाने से रोकने के लिए, आयोग, विभिन्न सरकारी एजेंसियों के साथ तालमेल करेगा। महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) पशु अधिनियम, 1995 के तहत मवेशियों का कत्ल अवैध है। 24 सदस्यीय आयोग आवारा और दूध न देने वाले मवेशियों को आश्रय देने के लिए स्थापित सभी गौशालाओं की निगरानी करेगा और आवश्यकता पड़ने पर इन संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सकता है।विगत सप्ताह मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र गो सेवा आयोग के गठन को मंजूरी प्रदान की थी। बजट में गो सेवा आयोग के लिए 10 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया है। सरकार का कहना था कि साल 2015 के गोमांस प्रतिबंध कानून को सख्ती से लागू करने और मवेशियों की स्थिति में सुधार के लिए गो सेवा आयोग का गठन किया गया है।
गो सेवा आयोग का मुख्य कार्य पशु संवर्धन, संरक्षण और कल्याण के लिए कार्यरत संस्था की निगरानी रखना है।
पशुओं के लिए स्वास्थ्य हेतु प्रबंध करना, राज्य में गो शाला, गोरक्षण संस्थाओं की सहायता और निगरानी करना है। राज्य में पशु संवर्धन, कल्याण में लगी संस्थाओं का पंजीकरण करना है। देशी प्रजातियों के पशुओं के प्रजनन को बढ़ावा देना है।