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मुंबई को माधव नगरी बनाना है -पंडित धर्मेंद्र शास्त्री

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मुंबई को माधव नगरी बनाना है – पंडित धर्मेंद्र शास्त्री 

संजीव शुक्ल

 मुंबई,(निर्भय पथिक):मीरा रोड पूर्व  स्थित एसके स्टोन ग्राउंड में  बागेश्वर धाम सरकार उर्फ़ पंडित धर्मेंद्र शास्त्री के  दो दिवसीय ‘ दिव्य दर्शन “कार्यक्रम में अंतिम दिन 19 मार्च को उन्होंने भारी भीड़ को सम्बोधित करते हुए  कहा कि हम शक्तियों को नहीं देख पाते लेकिन शक्तियां हमें देखती हैं। उन्होंने कहा कि मुंबई को कहते हो माया नगरी हैं हम कहते हैं इसको माधव नगरी बनाना है  तुमने माया को बहुत पकड़ लिया आओ बागेश्वर धाम के साथ माधव को भी पकड़ें।  माया साधन है माधव की भक्ति साधना है।  माया को पकड़कर तुम बड़ी – बड़ी बिल्डिंगें , बड़े – बड़े मकान , भोजन की व्यवस्था बना सकते हो लेकिन माधव के बगैर तुम्हारी जिंदगी एन्जॉयफुल नहीं होगी। तुम किसी मूवी को देखने कितनी बार जाओगे एक ही मूवी को बार-बार देखकर परेशान हो जाओगे।  किसी होटल में तुम दो घंटे एन्जॉय करोगे , डिस्को करोगे , धूम धड़ाका करोगे फिर थक कर कहोगे कि भाड़ में जाने दो चलो सो जाएं, लेकिन कल भी तुम इस  कार्यक्रम में  चार घंटा तुम मुस्करा रहे थे आज भी मुस्करा रहे हो यही अध्यात्म है। जिसमें चेहरे पर मुस्कराहट आ जाये वही तो अध्यात्म है। हंसा करो हंसाया करो , बागेश्वर धाम का घर अपने बाप का घर है आया जाया करो। उन्होंने कहा कि  इस दरबार का निमित्त कोई भी बन जाये बुलाया  तो हमें मुंबई ने है। और हम आते रहेंगे । मुझे पता होता कि मुंबई में हमारे इतने चाहने वाले हैं तो हम हमेशा यहीं आते। हमें तो अच्छा तभी लगने लगा जब अपने परिवार वाले मिलने लगे, मुंबई वाले मिलने लगे तो खूब आनंद आने लगा । इस प्रदेश  का नाम है महाराष्ट्र।  जो राष्ट्र को महान बनाने की क्षमता रखता है उसका नाम है महाराष्ट्र।  उन्होंने कहा जहाँ उन्हें रोका जाता है, वहां ज़रूर जाते हैं। उन्होंने अपना विरोध करनेवाले को चेतावनी भी दी। उन्होंने  कहा सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिससे तुम जीने की कला सीख सकते हो।  जीवन जीना तो दो कौड़ी का जीवन मत जीना , रोते -रोते मत जीना, यह बुजदिलों का काम है रोना। दर-दर भटकना , आंसू बहाना , दुनिया को अपना दुखड़ा सुनाना बुजदिलों का काम है।  विपत्तियों में शहंशाह की तरह जियो। कब तक तुम दूसरों की आशा में जियोगे। भगवान् राम ने कितना संघर्ष झेला , विपातियां झेली , पत्नी का हरण हुआ , वनवास भोगना  पड़ा।  तुलसीदास को जेल जाना पड़ा , बड़े- बड़े संत महात्माओं को दिक्क्तें झेलनी पड़ी।  हम रामजी को मानते हैं लेकिन राम की नहीं मानते। हनुमान जी की कृपा पाना है तो मन मंदिर में राम जी को बिठाओ। क्योंकि राम जी के द्वार पर हनुमान रहते हैं। हम लोग भगवान से भी औपचारिकता निभाते हैं। भगवान् न ऊपर होते तो आप न भू-पर होते ,पुस्तक से नहीं  परमात्मा तक पहुँचने के लिए किसी बुद्ध पुरुष को ढूंढना है। संघर्षों से मत डरो , कुछ लोग चाहते हैं बाबा पकडा  जाये। इसकी पोल खुल जाये और ब्रेकिंग बन जाये। उन्होंने कहा मुझे पूछा गया कि हिन्दू राष्ट्र बनवाओगे, हमने कहा बने बनाये को क्या बनायेंगे घोषणा करवायेंगें। मुझसे पूछा गया कि हिन्दू- हिन्दू चिल्लाते हो क्या आप अपने ऊपर मड़राता बादल हटाना चाहते हो , मैंने कहा असलियत यह है कि मुझे सनातनियों को जगाना है। उन्होंने कहा कि जब भी सनातन धर्म पर हमला हो सड़क पर निकलो। उन्होंने   बताया कि किसी ने कहा कि आपसे कुछ लोग जलते हैं मैंने कहा आप जलन बरकरार रखो मैं अपना जलवा  बरकरार  रखता हूँ। पंडित शास्त्री ने कहा जिंदगी में विचार का बहुत महत्व है जो जैसा विचार करता है वह वैसे बन जाता है। उनके प्रवचन के बाद कुछ लोगों से उनके प्रश्नोत्तर भी हुए।  राजनीति में भ्रष्ट लोगों के सवाल पर बोले जब कालनेमि नहीं रहा , कंस नहीं रहा  तो यह भी नहीं रहेंगे।  अंतरधर्मीय विवाह के बारे में किये गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पहले तो प्रयास करो कि  वह वहां  जा नहीं पाए , उनके ऊपर कोई वशीकरण का प्रयोग हुआ है और वह उसके प्रभाव में है तो उसका  भी उपाय करना चाहिए  वशीकरण कटते  ही वह दूसरे पंथ से  वापस आ जायेंगी । उन्होंने तलाक के बढ़ते मामले पर बोले कि लव मैरिज ज्यादा  दिन नहीं चलता,। उन्होंने अरेंज्ड मैरिज का पक्ष लिया।  

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