मंत्रियों केअनुपस्थित रहने पर सरकार और विपक्ष में बहस
संजीव शुक्ल
मुंबई(निर्भय पथिक): शुक्रवार को विधानसभा में मंत्रियों की अनुपस्थिति पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में बहस हो गई। विपक्ष के नेता अजित पवार 293 के तहत सदन में प्रस्ताव पेश कर रहे थे। धनंजय मुंडे ने कहा कि देखिये मंत्री नदारद हैं। यह सरकार गंभीर नहीं है। जब 293 का प्रस्ताव विपक्ष के नेता पेश कर रहे हो तब कम से कम मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री को सदन में होना चाहिए था अभी सिर्फ सहकार मंत्री हैं। यह अत्यंत गलत है। इस तरह विपक्ष के नेता सहित विपक्ष में बैठे सदस्यों का अपमान हो रहा है तब यहां विपक्ष को क्यों बोलना। सभी मंत्री लॉबी में बैठे हैं। इस सरकार में गंभीरता नहीं है। राज्य के मुख्यमंत्री , उपमुख्यमंत्री कोई भी गंभीर नहीं है। इस दौरान विपक्ष की तरफ से नारेबाजी की गयी कि’ यह महाराष्ट्र की जनता का अपमान’ है। जिस पर अजित पवार ने कहा कि मैं सत्र शुरू होने के बाद कह रहा हूँ कि गंभीर नहीं है। हम कुछ ऐसा शब्द उपयोग करते हैं कि हमारे मन को भी बुरा लगता है। लेकिन शब्दसः ‘भोंगल’ कारभार चल रहा है। कोई भी गंभीर नहीं है। पहली बेंच तो खाली ही रहती है। उस पर कोई नहीं रहता। हम भी सरकार चलाये हैं। जयंत पाटिल ने कहा कि जब विपक्ष के नेता बोल रहे हैं तो सदन के प्रमुख के तौर पर मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री को सदन में मौजूद रहना चाहिए। लोकतंत्र में इतने भी प्रोटोकॉल का पालन करने की इच्छा नहीं हो तो हम यहां शांत बैठते हैं। मुख्यमंत्री – उपमुख्यमंत्री के यहां आने तक हम कुछ नहीं बोलते हैं। आप तय करो की क्या करना है। कम से कम वह अनुपस्थित रहने के लिए खेद तो जतायें। इस दौरान भाजपा के अतुल भातखलकर ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा विगत सरकार में ढाई साल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कहां मौजूद रहते थे। जिस पर विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि जब जरुरत पड़ती थी उद्धव ठाकरे रहते थे। मैं नौ बजे से मौजूद रहता था और सम्मान से पेश आता था। इसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सदन में आ गए।