स्वामी विवेकानंद स्कूल ,चेंबूर की दादी वासवानी नहीं रहीं
अश्विनी कुमार मिश्र
मुंबई(निर्भय पथिक):स्वामी विवेकानंद एजुकेशन सोसाइटी की संस्थापकों में से एक पद्मा वासवानी का बुधवार -15 मार्च को सवेरे उनके आवास पर निधन हो गया. वह 97 वर्ष की थीं. स्वामी विवेकानंद स्कूल में वह सभी की दादी थीं, सब उन्हें इसी नाम से पुकारते थे. छात्रों में वह बहुत लोकप्रिय थीं. स्वामी विवेकानंद शिक्षण संस्थान को शिक्षा का कल्पवृक्ष बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है.स्वर्गीय हशु आडवाणी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उन्होंने 5 कमरों के स्कूल को 18 -20 हजार वाले शिक्षार्थियों का विद्यापीठ बना दिया. श्रीमती वासवानी में शिक्षा के प्रति जो लगन थी वह अद्वितीय थी. उन्होंने छात्रों में शिक्षा के साथ साथ संस्कारों को भी रोपित करने का कार्य किया. वह अनुशासन प्रिय थीं. उनका छात्रों के प्रति लगाव इतना था कि आज भी वर्षों पुराने छात्र उनकी महमहाती स्नेह से खींचे चले आते हैं. यह अद्भुत है. चाहे छात्र हो या शिक्षक सभी दादी के प्रिय थे. दादी वासवानी ने अपना सारा जीवन शिक्षा दान में बिता दिया. ऐसे लोग समाज के दीप स्तम्भ हैं जिसके आलोक में आज जगत मार्गदर्शन प्राप्त कर सकता है. दादी वासवानी का अंतिम संस्कार कल किया जायेगा. उनके सुपुत्र सिंगापुर में हैं. उनके आने का इंतजार है.विवेकानंद एजुकेशन सोसाइटी के सुरेश मलकानी ने बताया कि दादी वासवानी के पार्थिव शरीर को चेंबूर स्थित स्कूल के प्रांगण में गुरुवार,16 मार्च को दर्शनार्थ रखा जाएगा।उनका अंतिम संस्कार कल होगा. श्रीमती वासवानी अपने पीछे पुत्र,पुत्रवधू व पौत्रों सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गयी हैं. उनके निधन पर निर्भय पथिक परिवार श्रद्धानत है.