केके बिरला फाउंडेशन ने वर्ष 2022 के व्यास सम्मान की घोषणा कर दी है. इस बार व्यास सम्मान के लिए प्रख्यात लेखक डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास ‘पागलखाना’ को चुना गया है. ज्ञान चतुर्वेदी से पहले वर्ष 2021 में असगर वजाहत को उनके नाटक ‘महाबली’ के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया था.
के. के. बिरला फाउंडेशन के निदेशक सुरेश ऋतुपर्ण ने बताया कि व्यास सम्मान के अंतर्गत सम्मानित साहित्यकार को 4 लाख रुपये की नकद राशि और सम्मान पत्र भेंट किया जाएगा. उन्होंने बताया कि डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास ‘पागलखाना’ का चयन जाने-माने विद्वान प्रो. रामजी तिवारी की अध्यक्षता में संचालित एक चयन समिति ने किया है.
‘नरक यात्रा’, ‘बारामासी’ और ‘हम न मरब’ जैसी चर्चित कृतियों के लेखक ज्ञान चतुर्वेदी का ‘पागलखाना’ पांचवां उपन्यास है. यह उपन्यास राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. ‘पागलखाना’ उन्होंने बाजार को लेकर एक फैंटेसी रची है. ज्ञान चतुर्वेदी मानते हैं कि बाजार के बिना जीवन संभव नहीं है. बाजार सिर्फ एक व्यवस्था है जिसे हम अपनी सुविधा के लिए खड़ा करते हैं. लेकिन बाजार हमें अपनी सुविधा और सम्पन्नता के लिए इस्तेमाल करने लगता है.
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी का जन्म झांसी के मऊरानीपुर में 2 अगस्त, 1952 को हुआ था. पेशे से चिकित्सक डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी की मध्य प्रदेश में ख्यात हृदयरोग विशेषज्ञ की तरह विशिष्ट पहचान है. चिकित्सा शिक्षा के दौरान सभी विषयों में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले छात्र का गौरव उन्हें प्राप्त है
ज्ञान चतुर्वेदी ने अपने लेखन की शुरुआत 70 के दशक से प्रसिद्ध पत्रिका ‘धर्मयुग’ से की थी. उनका पहला उपन्यास ‘नरक-यात्रा’ बहुत ही चर्चित रहा है. नरक यात्रा भारतीय चिकित्सा-शिक्षा और व्यवस्था पर आधारित है. उन्होंने लंबे समय तक इंडिया टुडे, नया ज्ञानोदय, राजस्थान पत्रिका और लोकमत समाचार पत्र में नियमित व्यंग्य स्तम्भ लेखन किया है.
‘प्रेत कथा’, ‘दंगे में मुर्गा’, ‘मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएं’, ‘बिसात बिछी हैं’, ‘खामोश! नंगे हमाम में हैं’, ‘प्रत्यंचा’ ओर ‘बाराखड़ी’ उनके मशहूर व्यंग्य संग्रह हैं.
हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट लेखन के लिए उन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान’, हिंदी अकादमी, दिल्ली का ‘अकादमी सम्मान’, अन्तर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा-सम्मान (लन्दन) और ‘चकल्लस पुरस्कार’ के अलावा कई विशिष्ट सम्मान मिल चुके हैं. वर्ष 2015 में भारत सरकार ने ज्ञान चतुर्वेदी को ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया था.