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भाषा का विकास लिपि के संरक्षण से होगा – डॉ. हरि सिंह पाल

by zadmin

भाषा का विकास लिपि के संरक्षण से होगा – डॉ. हरि सिंह पाल
दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले के अंतर्गत विभिन्न संगोष्ठियों का भी आयोजन किया जा रहा है। साथ ही विभिन्न पुस्तकों के विमोचन का कार्यक्रम भी किए जा रहे हैं। इस अवसर पर नागरी लिपि परिषद द्वारा  नागरी लिपि व प्रौद्योगिकी विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई तथा विभिन्न पुस्तकों के लोकार्पण के साथ-साथ काव्य गोष्ठी का भी आयोदन किया गया।  नागरी लिपि के महामंत्री हरी सिंह पाल ने विद्वानों का स्वागत किया।  
नागरी लिपि व प्रौद्योगिकी विषय पर बोलते हुए राजभाषा विभाग के सेवानिवृत्त पूर्व क्षेत्रीय उपनिदेशक तथा ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के संस्थापक व निदेशक डॉ मोतीलाल गुप्ता ने कहा कियह प्रौद्योगिकी का युग है और काम कलम से ज्यादा कंप्यूटर से किया जाता है इसलिए स्कूल के  पाठ्यक्रम के माध्यम से बच्चों को कंप्यूटर व मोबाइल आदि पर कार्य का प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिए।जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, हम नागरी लिपि का कितना भी महिमामंडन करें हिन्दी भाषा और नागरी लिपि को बचाना – बढ़ाना सम्भव नही हैं। नागरी लिपि के महामंत्री हरी सिंह पाल ने अपने वक्तव्य में कहा कि देवनागरी लिपि का संरक्षण करना आवश्यक है वर्ना हिंदी, भारतीय संस्कृति और संस्कार को नहीं बचाया जा सकेगा। सभी अतिथियों व  कवियों ने भी नागरी लिपि के विकास पर जोर दिया।  सभी कवियों ने नागरी लिपि के इतिहास और इसकी विशेषताओं और वैश्विक स्तर पर इसकी प्रासंगिकता  के विषय में बताया ।  
नागरी लिपि परिषद द्वारा आयोजित विशेष आयोजन में कई पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ जिसमें नागरी संगम पत्रिका, अमेरिका से छपने वाली सौरभ पत्रिका, प्रमिला कौशिक का काव्य संग्रह ‘चांद पर पहरा’, रंगोली के रंग, भूप सिंह यादव की कृति ‘आत्म संक्रांति’ , डॉ. चिरंजी लाल की कृति ‘बाबा की गुड़िया’ तथा अरुण पासवान का ‘जुहू बीच’, कुमार पंकज अंतर्योगी की – काश मैं बस का ड्राइवर  होता, श्रीमती शशि त्यागी का काव्य संग्रह- मेरा काव्य समर्पण आदि हैं। इसके पश्चात काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें 25 कवियों ने अपनी काव्य प्रस्तुती संक्षेप में की। काव्य गोष्ठी का संचालन सुप्रसिद्ध कवि बाबा कानपुरी ने किया।
सेमिनार मंडप के मंच पर नागरी लिपि पर सत्र आयोजित किया गया जिसमें डॉ प्रेमचंद पतंजली (नागरी लिपि परिषद् के अध्यक्ष), श्री धरमवीर सिंह (भारतीये विदेश सेवा), श्री नारायण कुमार ( नागरी लिपि के सदस्य), डॉ शिव शंकर अवस्थी (प्रोफेसर राजनीतिक विज्ञान), डॉ हरि सिंह पाल उपस्थित रहे।

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