केजे सोमैया धर्म अध्ययन संस्थान ने किया रामायण’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
मुंबई: केजे सोमैया धर्म अध्ययन ने 2 से 4 फरवरी तक सोमैया विद्या विहार, मुंबई में ‘रिफ्लेक्शंस ऑन द रामायणा’ पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की। यह आयोजन सेंट्रल संस्कृत विश्वविद्यालय , नई दिल्ली, अयोध्या रिसर्च इंस्टीट्यूट, डिपार्टमेंट ऑफ कल्चर, उत्तर प्रदेश .सरकार, लखनऊ और केजे सोमैया कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स, मुंबई के साथ भागीदारी में किया गया था।
महाराष्ट्र सरकार में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री माननीय चंद्रकांत पाटिल ने सम्मेलन का उद्घाटन किया था। सेंट्रल संस्कृत विश्वविद्यालय , नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वाराखेडी मुख्य अतिथि थे। मुख्य भाषण नेशनल मिशन ऑन कल्चरल मैपिंग, नई दिल्ली की मिशन डायरेक्टर प्रोफेसर मौली कौशल ने दिया था।
तीन दिन के सम्मेलन में उन विद्वानों ने भाग लिया, जिन्होंने भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में रामायण के शास्त्रीय एवं लोक रूपों पर काम किया था। इस सम्मेलन का मुख्य आकर्षण था उत्तर-पूर्व में रामायण को समर्पित एक पूरा सत्र और साथ ही महाराष्ट्र के कला रूपों पर कागजात और प्रस्तुतियाँ। दो कागजात देखने योग्य लघु चित्रों और पारसी साहित्य के चित्रों पर केन्द्रित थे। जैन रामायण और दक्षिण एशिया की मुस्लिम परंपराओं में रामायण के संयोजन पर भी कागजात थे। सम्मेलन में वाल्मीकि-रचित का थाई रामायण और कम्बन के रामावतार के साथ तुलनात्मक अध्ययन भी हुआ।
इस विचार-विमर्श से यह स्पष्टता मिली कि अत्यंत लोकप्रिय महाकाव्य कैसे भाषा, संस्कृति, पंथ, भूगोल और शैली की सीमाएं लांघ गया था।
इस सम्मेलन का एक अद्भुत और आकर्षक आयाम था सोमैया सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा संस्कृत नाटक ‘प्रतिमा’ के संयोजन पर प्रस्तुति और महाराष्ट्र के कुदाल जिले के पिंगुली गांव के एक परिवार की शैडो थियेटर प्रस्तुति, जिन्होंने 5 पीढ़ियों से इस परंपरा का संरक्षण किया है। इसके अलावा फिल्मों की स्क्रीनिंग और फिल्मकारों के साथ चर्चा भी हुई, जिससे सभी आगंतुकों को सीखने का अनुभव मिला।
केजे सोमैया इंस्टीट्यूट ऑफ धर्म स्टडीज की निदेशक डॉ. सुप्रिया राय ने कहा, “यह सम्मेलन सचमुच विभिन्न संस्कृतियों में रामकथा के बेहतरीन वर्णन का प्रतिबिम्ब था, जिससे पता चलता है कि विभिन्न समुदायों ने कैसे राम को अपना बनाया है। इस प्रकार इन परंपराओं को उनके अपने नियमों और संदर्भों में सराहने की जरूरत समझ आती है।”
सोमैया विद्या विहार के प्रेसिडेंट समीर सोमैया ने कहा, “रामायण शायद सदाबहार महान कथाओं में से एक है। इस कथा का हर संस्करण अलग दृष्टिकोण वाला है, जिसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुनने की जरूरत है। ‘रिफ्लेक्शंस ऑन द रामायणा’ ने निश्चित तौर पर इन कम जानी-पहचानी कथाओं को रोशनी में लाने में सफलता पाई है।”