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खरी-खरी:अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

खरी-खरी
नहीं प्रेम का एक दिन, प्रेम करो हर रोज।

प्रेम शाश्वत भावना, यह जीवन की डोज़।।

यह जीवन की डोज़, रोज डे वेलेंटाइन ।

मन में उपजे प्रेम, वही दिन बनता फ़ाइन।।

जीव मात्र से प्रेम, हिंद सभ्यता सिखाती।

सब में ईश्वर तत्व, प्रेम की राह दिखाती। 


अशोक वशिष्ठ

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