मौसम फगुनाया पुनः,ठोक रहा है ताल
गली-गली उड़ने लगे, फिर से रंग गुलाल
फिर से रंग गुलाल,हाथ में ले पिचकारी
बुढ़वा हुए जवान,मगन सारे नर-नारी
कह सुरेश कविराय मदन धनु तीर चढ़ाया
मनवा बनल मयूर,पुनः मौसम फगुनाया
सुरेश मिश्र
मौसम फगुनाया पुनः,ठोक रहा है ताल
गली-गली उड़ने लगे, फिर से रंग गुलाल
फिर से रंग गुलाल,हाथ में ले पिचकारी
बुढ़वा हुए जवान,मगन सारे नर-नारी
कह सुरेश कविराय मदन धनु तीर चढ़ाया
मनवा बनल मयूर,पुनः मौसम फगुनाया
सुरेश मिश्र