सिर्फ लिंक पर क्लिक और खाते से 2 लाख गायब, बैंक की भूमिका संदेहास्पद
श्रीकेश चौबे
डोंबिवली ;-डोंबिवली पूर्व के दावड़ी पेट्रोल पम्प के पास स्थित एचडीएफसी बैंक के ब्रांच के खाते धारक के बैंक अकाउंट से साइबर चोरों ने एक लाख संतानवे हजार रुपये (197000 रु )निकाल लेने का अजीबो गरीब मामला प्रकाश मे आया है। इसमे बैंक प्रबंधन खाताधारक की गलती बता कर बैंक प्रबंधन भले ही अपना पल्ला झाड़ने का लगातार प्रयास कर रहा हो,
लेकिन पूरे मामले मे ग्राहक के खाते की जानकारी साइबर चोरों तक पहुँचने, 1 लाख का अकाउंट लिमिट वाले खाते से एक बार में एक लाख सत्तर हजार कैसे निकाला ?और फिर खाता धारक द्वारा इसकी शिकायत बैंक में जाकर कर करने के प्रयास पर बैंक कर्मचारी से ले कर प्रबंधक विकास व्यास द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लेना।जैसे अनेक सवाल हैं,जिसमे बैंक की भूमिका संदेहास्पद मानी जा रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी बैंक की खाता धारक युवती कुसुम यादव को गत शनिवार को दोपहर 2 .42 पर एक मैसेज आया जिसमें एचडीएफसी रिवार्ड क्लेम करने के लिए संबंधित लिंक पर क्लिक करने की हिदायत थी। खाता धारक को साइबर चोरों की यह नई साजिश समझ नहीं आई उसने मैसेज में एचडीएफसी बैंक का जिक्र होने के कारण संबंधित लिंक को क्लिक कर अपना रीवार्ड प्वाइंट्स प्राप्त करने का प्रयास किया और संबंधित लिंक को क्लिक कर दिया।
लिंक क्लिक करते ही उसे 9348823829 नंबर से फोन आया और एक झटके में उसके खाते से ₹159900 निकाल लिए गए। खाताधारक कुसुम यादव को यह समझते ही कि उसके खाते से पैसे अवैध रूप से निकाले गए हैं तो उसने तुरंत अपने बैंक के टोल फ्री नंबर पर कॉल करके यह शिकायत की। लेकिन शिकायत के लिए फोन करने के दौरान ही जहां एक तरफ बैंक के ग्राहक अधिकारी उससे नाम पता बैंक डिटेल पूछने में लगे थे वही दूसरी तरफ साइबर चोर लगातार उसके खाते से पैसे निकालने का प्रयास कर रहे थे और कुसुम यादव को लगातार पैसे निकासी के प्रयास के मैसेज आ रहे थे और 2:56 पर उसके खाते से फिर ₹37200 निकाल लिए गए।
कुसुम यादव ठाणे की एक मेडिकल बेस कंपनी में काम करती है। और शनिवार को उसकी छुट्टी थी, अपने खाते से 2 लाख रुपए गवन हो जाने की जानकारी मिलते ही कुसुम सिर्फ आधे घंटे में यानी कि 3.15 को बैंक में पहुंच गई थी और पहुंचते ही बैंक मैनेजर व्यास से अपनी बात कही। बैंक मैनेजर व्यास ने कुसुम को बैंक के ही अधिकारी वरुण वैध के पास भेजा कुसुम के अनुसार उसके साथ इतनी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद न तो बैंक के मैनेजर सीरियस दिखे नाही संबंधित अधिकारी राहुल।
उसे एक फॉर्म दिया गया, जिसमें ऐसी अनेक जानकारी मांगी गई थी जो उसे समझ नहीं आ रही थी. इसमें भी अधिकारी राहुल कोई मदद नहीं कर रहा था बाद में उसे पहले पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत करने की हिदायत दी गई और उसकी एफआईआर कॉपी बैंक में लाकर सबमिट करने को कहा गया। जोकि कुसुम ने उसी दिन कर दिया।
सोमवार दोपहर लगभग 2:00 बजे खाताधारक कुसुम अपने पिता के साथ बैंक प्रबंधक व्यास से मिली तो उस दिन भी उन्होंने खाताधारक की ही गलती बताते हुए इसके लिए बैंक जिम्मेदार नहीं होने की बात कही। लेकिन मामला पत्रकारों तक जाने की बात से शायद वे सतर्क हो गए और कुसुम के बैंक से निकलते ही 2.16 को उसके मोबाइल पर बैंक से पहला मैसेज आया जिसमे उसकी शिकायत का डॉकेट नंबर था। और उसकी शिकायत विधिवत दर्ज होने की उसके पास अधिकृत जानकारी प्राप्त हुई।
जबकि अनेक साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार बैंक प्रबंधन अपने फायदे के लिए अपने बैंक के खाताधारकों का डिटेल मार्केट में बेचता है। जिसमें लोन देने वाली कंपनियां, क्रेडिट कार्ड बेचने वाली कंपनियां के साथ अनेक ऐसे संस्थान हैं जहां से साइबर चोरों को लाखों करोड़ों खाताधारकों का बैंक डिटेल के साथ अन्य विवरण भी आसानी से प्राप्त हो जाता है।उनके अनुसार अगर खाताधारक आधे घंटे के अंदर बैंक में अपने साथ हुए फ्रॉड की जानकारी देता है तो बैंक का साइबर सेल टीम उस साइबर चोर के अकाउंट को ब्लॉक कर सकता है।इसके साथ ही खाताधारक के बैंक लिमिट से अधिक निकासी पर भी बैंक प्रबंधन के व्यवहार पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।
इस पूरे मामले मे स्थानीय मानपाड़ा पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए शनिवार दोपहर मे ही लिखित शिकायत दर्ज कर ली और सोमवार को मानपाड़ा पुलिस के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शेखर बागडे ने साइबर खाते के विशेषज्ञ पुष्कर को आवश्यक मदद के निर्देश दिए है।