खरी-खरी
असली मुद्दे छोड़ कर, करते व्यर्थ प्रलाप।
मुर्दे गड़े उखाड़ कर, क्या पायेंगे आप।।
क्या पायेंगे आप, सोच को विकसित करिए।
बढ़ें दूरियाँ और, काम मत ऐसा करिए।।
है अब कर्म प्रधान, जाति की बात पुरानी।
मानवता हो धर्म, यही कहते सब ज्ञानी।।
अशोक वशिष्ठ