मनपा के वार्डों की संख्यां बढ़ाने को लेकर हाईकोर्ट में मचमच
जनसंख्या बढ़ी इसलिए लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ी क्या — महाधिवक्ता
संजीव शुक्ल
मुंबई : मुंबई महानगर पालिका के वार्डों की संख्या २३६ या २२७ यह उत्सुकता लोगों के मन में है। कोर्ट इस पर क्या रवैया अख्तियार करेगा इस पर नज़रें लगी हुई हैं। मुंबई हाई कोर्ट में मंगलवार को इससे जुड़े मामले पर बहस हुई। राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट में कहा कि जनगणना के अनुसार जनप्रतिनिधियों की संख्या बढ़ सकती है ऐसा माने तो भारत की जनसंख्या बढ़ी तो लोकसभा की सीटें बढ़ी क्या ? यह सवाल मंगलवार को राज्य के महाधिवक्ता बिरेन्द्र सराफ ने कोर्ट में उठाया। मुंबई महानगरपालिका के आगामी चुनाव के लिए वार्ड संख्या 236 से पुनः 227 करने के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकार के निर्णय को चुनौती देनेवाली याचिका यह कानून का गलत अर्थ लगाकर दायर किये जाने का दावा महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट में किया। जनगणना के आधार पर वार्डों की संख्या कम ,ज्यादा नहीं की जा सकती है। नगरसेवकों की संख्या कितनी हो कानून से निर्धारित किया गया है। इसलिए महाविकास आघाडी सरकार का पालिका वार्ड संख्या एवं पुनर्रचना को बदलने की ज़रुरत नहीं थी । यह भी महाधिवक्ता सराफ ने कोर्ट में कहा। गत छह महीने पहले तत्कालीन अघाड़ी सरकार ने बृहन्मुम्बई महापालिका के वार्ड की पुनर्रचना करके वार्डों की संख्या 227 से बढाकर 236 कर दिया। शिवसेना से अलग होकर शिंदे गुट ने भाजपा के साथ नयी राज्य सरकार बनाई। उसके बाद महाविकास अघाड़ी सरकार का निर्णय बदलकर वार्डों की संख्या पूर्ववत 227 कर दी । इस निर्णय से बृहन्मुम्बई महानगर पालिका की पहले से ही अधर में लटक गये चुनाव के और लम्बा खिंच जाने के आसार हैं। इससे सरकारी खजाने पर भी भारी बोझ बढ़ेगा। यह दावा करते हुए शिवसेना उद्धव बालासाहब ठाकरे पार्टी के पूर्व नगरसेवक राजू पेडनेकर की तरफ से याचिका दायर की गयी है। न्यायमूर्ति सुनील चक्रे एवं न्यायमूर्ति एम डब्लू चंदवानी की खंडपीठ के समक्ष याचिका पर अंतिम सुनवाई जारी है। नगरसेवकों की संख्या को कम करने का कानून सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन नहीं है यह दावा भी महाधिवक्ता सराफ ने किया।