मंत्री सत्तार के इस्तीफे की मांग
संजीव शुक्ल
नागपुर:महाराष्ट्र विधान सभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे सप्ताह के पहले दिन 26 दिसम्बर को विपक्ष ने मंत्री अब्दुल सत्तार के खिलाफ १५० करोड़ की जमीन का घोटाला मामला उठाया और कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार के खिलाफ विधानसभा में हंगामा करते हुए उनके इस्तीफे की मांग की। सोमवार को विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने वासिम में 37 एकड़ जमीन घोटाला होने का मामला उठाया। इसका मूल्य 150 करोड़ बताया। अजित पवार ने बताया कि अब्दुल सत्तार ने वासिम जिले में 37एकड़ गायरन ( चरागाह )ज़मीन योगेश खंडारे नामक व्यक्ति को दे दी। जबकि पंजाब सरकार विरुद्ध जगपाल सिंह के मामले में यह निर्णय आया है कि इस तरह की सार्वजनिक जगह किसी को नहीं दी जा सकती। 12जुलाई 2022 को जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे तब सरकार ने इस ज़मीन को किसी और को नहीं देने का आदेश दिया था लेकिन जब सरकार बदली उसके 4दिन पहले खंडारे को ज़मीन देने का निर्णय ले लिया गया। उस समय सत्तार राजस्व राज्य मंत्री थे। ज्ञातव्य है कि सत्तार सत्ता परिवर्तन के बाद मंत्री बने। सत्तार पर आरोप है कि उन्होंने नियम का उल्लंघन करके यह किया। यह ज़मीन किसी को नहीं दे सकते थे । खंडारे को अधिकार नहीं होते हुए भी उन्होंने जमीन पर कब्ज़ा किया। इस मामले को लेकर मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर खंड पीठ ने फटकार लगायी है और कहा है राज्य मंत्री ने पद का दुरुपयोग किया। वहीं जिलाधिकारी ने भी सचिव को पत्र लिखकर मामले में उचित दिशा निर्देश जारी करने के लिए कहा था ,फिर भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। अजित पवार ने कहा कि कोर्ट से फटकार के बाद भी इस मंत्री को क्यों बचाया जा रहा है। एक व्यक्ति को 37 एकड़ ज़मीन का लाभ दिलाया इसकी कीमत 150 करोड़ रूपये है। फिर भी सरकार इस मंत्री को नहीं हटा रही है। इस मंत्री को तुरंत इस्तीफ़ा देना चाहिए। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सदन में कहा कि अभी तक मैंने कोर्ट का आदेश नहीं पढ़ा है। आदेश पढ़ने के बाद कार्यवाई की जायेगी। लेकिन विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं हुआ। इस मामले पर सदन में भू गर्भ गृह में विपक्ष के सदस्य आकर बैठ गये और तालियां बजाकर अब्दुल सत्तार के नाम की दुहाई देते हुए उनके इस्तीफे की मांग करने लगे, अध्यक्ष ने उन्हें भूगर्भ गृह में बैठने से मना किया लेकिन विपक्ष के सदस्य नहीं माने। इस दौरान सत्तारूढ़ पक्ष अपना काम करता रहा ,लेकिन सदन में हंगामें के कारण सदन का काम कई बार स्थगित करना पड़ा। आखिरकार दोपहर को अध्यक्ष ने सदन का कामकाज दिन भर के लिए स्थगित कर दिया।