अभद्र भाषा का उपयोग करने पर राकांपा नेता जयंत पाटिल निलंबित
संजीव शुक्ल
नागपुर: महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिनगुरुवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक दल के नेता जयंत पाटिल , विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के खिलाफ अत्यंत आपत्तिजनक भाषा का उपयोग करने के कारण निलंबित कर दिए गए। उनका यह निलंबन नागपुर के शीतकालीन सत्र के शेष अवधि के लिए है। महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 30 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान उनके नागपुर में विधानभवन एवं मुंबई के विधान भवन में जाने पर पाबंदी लगा दी गयी है। सदन के निलंबन के आदेश के बाद जयंत पाटिल दो मिनट के अंदर दोपहर 3 बजकर 37 मिनट पर से अपने आसन को छोड़ कर सदन से बाहर चले गए। लेकिन वह विधानभवन परिसर में काफी देर तक रुके रहे. वहां उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह हमारी आवाज़ दबाने का प्रयास है।
गुरुवार को सत्तारूढ़ पक्ष और विपक्ष की वजह से सदन का कामकाज कुल आठ बार स्थगित करना पड़ा। जिसमें रश्मि शुक्ल मामले में एक बार, दिशा सालियन मामले में पांच बार, पाटिल के बारे में निर्णय लेने सहित आठ बार सदन का कामकाज स्थगित हुआ। सदन में गुरुवार को सुबह 11 बजे नियमित कामकाज शुरू हुआ तब से कामकाज बार बार बाधित हो रहा था। इसी दौरान जब सदन चल रहा था तब राकांपा के गुट नेता जयंत पाटिल ने विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ असंसदीय भाषा का उपयोग कर दिया। जिसे सुनकर सदन में मौजूद मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री रोष में आ गए। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री अपने आसन से उठकर आगे आ गए। सदन के सदस्य भी इससे आहत हुए। इस मामले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुस्से में कहा कि ” निलंबित करो ” । सदन का कामकाज स्थगित करके इस मामले में अध्यक्ष के साथ विचार विमर्श किया गया। सदन का कामकाज फिर जब शुरू हुआ तब संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने जयंत पाटिल के निलंबन का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने बहुमत से स्वीकार कर लिया। निलंबन अवधि के दौरान जयंत पाटिल पर नागपुर और मुंबई के विधान भवन में प्रवेश पर रोक लगायी गयी है। उनके निलंबन का निर्णय स्वयं अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुनाया। निलंबन के बाद विपक्ष आक्रामक हो गया ,इस पर विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि यह जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था । हमने मुख्यमंत्री शिंदे, उपमुख्यमंत्री फडणवीस से अनुरोध भी किया बातचीत कर मार्ग निकालने का प्रयास किया। एकाध शब्द असावधानीवश मुंह से निकल जाता है। सभी की भावना तीव्र है, इसमें दो राय नहीं है। यह खेद निलंबन वापस के लिए नहीं है। कुछ त्रुटि हो जाती है उस पर खेद जताकर आगे बढ़ जाना चाहिए। जयंत पाटिल प्रदेश अध्यक्ष , विधायक दल नेता के रूप में काम करते हैं। सत्ताधारी और विपक्ष को समान अवसर मिले तो राह निकल सकती है। मेरे प्रदेश अध्यक्ष के बारे में गलतफहमी मत रखिये । उसके बाद विपक्ष के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। दरअसल विपक्ष के सदस्यों को बोलने नहीं देने के मामले में राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल आक्रोश में आ गए और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अभद्र भाषा का उपयोग कर दिया। इससे विधानसभा में हंगामा मच गया।
एक सदस्य ने कहा कि मैं 2009 में विधायक बना। 12-13 वर्षों में मैंने तो ऐसा नहीं सुना यदि यह अध्यक्ष के बारे में ऐसे शब्द का उपयोग कर सकते हैं, तो नए सदस्य यह सीखेंगें। माफी मांग ली तो इससे समस्या नहीं सुलझेगी। एक सख्त संदेश जाना चाहिए। उनके वक्तव्य के लिए उनका निलंबन होना चाहिए मैं ऐसी मांग करता हूँ। सत्तारूढ़ पक्ष के सदस्यों ने उन्हें एक साल के लिए निलंबित करने की मांग शुरू कर दी। भारी हंगामे के बीच सदन का कामकाज 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन का कामकाज शुरू होने पर संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने जयंत पाटिल के निलंबन का प्रस्ताव रखा। पाटिल ने प्रस्ताव में कहा कि जयंत पाटिल ने सदन की प्रतिष्ठा को मलीन किया। संसदीय शिष्टाचार का घोर अपमान किया। उन्हें नागपुर अधिवेशन की शेष अवधि तक निलंबित किया जाए। साथ ही यह मामला आचरण और मूल्य नीति समिति बनाकर उसे जांच के लिए सौंपा जाए। पाटिल के प्रस्ताव को बहुमत के आधार पर मंजूर कर लिया गया। इसके बाद जयंत पाटिल सदन से उठकर चले गए। उस समय दोपहर के तीन बजकर सात मिनट हो रहे थे।
जयंत पाटिल के निलंबन के विरोध में विपक्षी सदस्यों ने विधानभवन की सीढ़ियों पर जोरदार नारेबाजी की। विपक्ष के विधायक बेशर्म सरकार,बेशर्मी का कहर, जयंत पाटिल तुम आगे बढ़ो,हम तुम्हारे साथ हैं,नहीं चलेगी,नहीं चलेगी,तानाशाही नहीं चलेगी जैसे नारे लगा रहे थे। जयंत पाटिल को कंधे पर उठाकर विपक्ष के विधायक -तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं, के नारे लगा रहे थे। निलंबन के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए जयंत पाटिल ने कहा कि सदन में ऐसा ( दिशा सालियन ) मामला उठाया गया, जो सूचीबद्ध नहीं था। उसके बाद सत्ताधारी दल के 14 सदस्यों को बोलने का मौका दिया गया। हम शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के विधायक भास्कर जाधव को अपनी बात रखने की मांग कर रहे थे, तब मैंने कहा कि आप ऐसी बेशर्मी मत कीजिए। इसका अर्थ सत्तारुढ़ और विपक्ष को बराबर के अवसर देना था। इसके बाद मुझे निलंबित कर दिया गया, यह विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश है। ज्ञातव्य है कि बुधवार को छगन भुजबल महिलाओं को अशोभनीय बात कहकर फंस गए थे। सत्तारूढ़ दल के तमाम सदस्यों ने भुजबल के इस तरह के संबोधन के लिए घेरा था। तब विपक्ष के नेता अजित पवार ने भुजबल की तरफ से माफी मांगकर इस मामले को रफा- – दफा कर दिया था।