75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का हरियाणा में भव्य शुभारम्भ
मुंबई एवं महाराष्ट्र से हजारों श्रद्धालु समागम में शामिल
समालखा: ‘‘रुहानियत और इंसानियत से ही हम पूर्ण इंसान बन सकते हैं” ये उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने 75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का विधिवत शुभारंभ करते हुए कही.
यह चार दिवसीय संत समागम निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) के विशाल मैदानों में आयोजित किया गया है जिसमें देश एवं दूर देशों से समाज के विभिन्न स्तरों के श्रद्धालु भक्त एवं प्रभु प्रेमी सज्जन लाखों की संख्या में सम्मिलित हुए हैं। इसमें मुंबई एवं महाराष्ट्र से भी हजारों की संख्या में निरंकारी भक्त शामिल हुए हैं |
सतगुरु माता जी ने अपने संदेश में कहा कि लगभग दो वर्ष के पश्चात आज यहां देश विदेश से भक्तजन, संतजन एकत्रित हुए हैं। क्योंकि कोविड महामारी के दौरान इन्सान का इन्सान से मिलना-जुलना सम्भव नहीं हो पा रहा था। संत हर समय मानवता की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं और इसका प्रमाण कोविड के दौरान रक्तदान शिविर, निरंकारी भवनों का कोविड केयर केन्द्रों में परिवर्तित करना, कोविड टीकाकरण के लिए विशेष शिविर तथा जरूरतमंदों की सहायता करते हुए संत जनों ने दिया है.
देश के आज़ादी के अमृत महोत्सव का जिक्र करते हुए सत्गुरु माता जी ने कहा कि मिशन भी 75वां वार्षिक निरंकारी संत समागम मना रहा है। देश की आज़ादी द्वारा हम भौतिक रूप से तो आज़ाद हो गए, किन्तु रूह की आज़ादी परमात्मा की पहचान द्वारा ही संभव है। इसके पूर्व आज अपरान्ह सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं उनके जीवनसाथी राजपिता रमित जी का समागम स्थल पर आगमन होते ही समागम समन्वय समिति के सदस्यों द्वारा फूलों का गुलदस्ता देकर उनका हार्दिक स्वागत किया गया. । इस अवसर पर श्रद्धालु भक्त दिव्य जोड़ी को अपने सान्निध्य में पाकर भावविभोर हो गए और जयघोष की दिव्य ध्वनि गूंज उठी। उन्होंने भक्तों के अभिवादन को स्वीकार करते हुए दिव्य युगल ने अपनी मधुर मुस्कान द्वारा सभी श्रद्धालुओं को आशीष प्रदान किए।
निरंकारी संत समागम के इतिहास में ऐसा प्रथम बार हुआ कि जब एक पूरा दिन सेवादल को समर्पित किया गया। इसी के अंतर्गत बुधवार, 16 नवंबर को एक रंगारंग सेवादल रैली का आयोजन किया गया जिसमें प्रतिभागियों ने शारीरिक व्यायाम, खेलकूद, मानवीय मीनार एवं मल्लखंब जैसे करतब दिखाए। इसके अतिरिक्त वक्ताओें, गीतकारों एवं कवियों ने समागम के मुख्य विषय ‘रूहानियत एवं इन्सानियत’ पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए जिसमें व्याख्यान, कवितायें, ‘सम्पूर्ण अवतार बाणी’ के पावन शब्दों का गायन, समूह गीत एवं लघुनाटिकाओं का सुंदर समावेश था।