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खरी-खरी:सुरेश मिश्र

by zadmin

खरी-खरी

धान कटत बा धूम से,आलू गइल बोवाइ
गोहूं के बोवइ बिना,खेत रहे फटकाइ
खेत रहे फटकाइ,चले पुरजोर किसानी
नीलगाइ चरि रहे रहर, करते बेमानी
कह सुरेश विरही क रोइ के रात कटत बा
सइयां जल्दी आवा,सबके धान कटत बा

सुरेश मिश्र

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