गिरगांव का 100 साल पुराना ईरानी होटल सनशाइन रेस्टोरेंट आज से बंद
अश्विनी कुमार मिश्र
मुंबई : गिरगांव और ठाकुरद्वार नाका पर का 100 साल पुराना होटल सनशाइन रेस्टोरेंट, बेकरी एंड बीयर बार आज से बंद हो गया है. इस ऐतिहासिक होटल में सुपर स्टार राजेश खन्ना हमेशा चाय पीने व नाश्ता करने आते थे. आखिर गिरगांव और ठाकुरद्वार नाका पर यह आखिरी ईरानी होटल इतिहास की बात हो जाएगी.ईरानी होटलों की अपनी विशेषता होती है. इस होटल के बंद होने का कारण यह है कि जिस इमारत में सनशाइन खड़ा है, उसे खतरनाक घोषित कर दिया गया है, होटल के पास उसे गिराने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। ‘इस वाड़ी से उस वाड़ी तक’ इस खबर को फैलने से रोकने के लिए गिरगावकर पिछले कुछ दिनों से काफी एहतियात बरत रहे थे। लेकिन शनिवार को यह खबर सामने आई और ठाकुरद्वार क्षेत्र में मानों शोक फ़ैल गया. हजारों लोगों की क्षुधा तृप्त करने वाला सनसाइन अब बंद हो गया.
ठाकुरद्वार व कालबादेवी की सीमा पर लगभग 100 साल पुराना इतिहास का साक्षी यह होटल स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलनों का भी गवाह था. पारसी समुदाय के एक ट्रस्ट की यह पांच मंजिला इमारत में सनशाइन एक शतक से सेवाएं दे रहा था. एक सदी की गर्मी और मानसून को सहने वाला यह वास्तु अब थक चुका है। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि यह लंबे समय तक टिकेगा। प्रत्येक पारसी परिवार, जिन्होंने पहले इमारत में शरण ली थी, पिछले कुछ महीनों में सुरक्षित स्थान पर चले गए। यह सनशाइन होटल था जो अंतिम क्षणों तक यहाँ टिका रहा.
कहा जाता है कि 20वीं सदी की शुरुआत में ईरानी मुंबई आए। तब कुलाबा से मुंबई के दूसरे छोर पर 300 से अधिक ईरानी होटल खुले। जब तक इन इलाकों में कारखाने चल रहे थे. ये होटल चल रहे थे। मिल मजदूर, टैक्सी चालक, कुली आदि इसके पक्के ग्राहक थे. लकड़ी की कुर्सियाँ, मेजें, कांच के बक्सों में रखे केक, पुडिंग, गोटी सोडा ईरानी होटल में करीने से राखी दिखती थीं.ये होटल आम आदमी से लेकर मजदूर तबकों का आहार गृह था.
मिलें बंद हो गईं और पिछले चार दशकों में होटलों का एक क्रम घटने लगा। अब दस-बारह ईरानी होटल ही अंतिम सांसे ले रहे हैं। ईरानी होटल सिर्फ खान पान की जगह नहीं थी,बल्कि यह गिरगाव का एक खाने का अड्डा के साथ साथ यह सांस्कृतिक केंद्र भी था. सनसाइन सिर्फ बन पाव, आमलेट पाव और पानी कम चाय नहीं थी। यह गिरगांव में चलने वाला लोक संग्रह केंद्र था। यहाँ आने वाले लोगों में एक लालच था। घर पर नाश्ते के बाद खारी, टोस्ट, मक्खन, पाव, मस्का, बन मस्का, बुन मस्का, नानकटाई, यहां उपलब्ध होती थी. यदि आप रविवार की दोपहर दोस्तों के साथ बिताना चाहते हैं तो बीयर भी उपलब्ध थी। सनशाइन में गिरगांवकर का रविवार सुबह पांच बजे शुरू होता था. इसके कारण “रविवार को घर पर नाश्ता करना यहाँ के रहिवासियों लिए एक सजा की तरह लगता था. ।
अशोक शेट्टी, जो इस समय इस होटल को चला रहे हैं,उनका बुरा हाल है.वह बताते हैं कि यह होटल पिछले 34 सालों से चल रहा है। होटल की वजह से करीब 25 से 30 कामगारों के घर चूल्हे जल रहे हैं. अब वे क्या करेंगें,कहाँ जायेंगें यह मानवीय प्रश्न उनके सामने खड़ा हो गया है. , होटल के मालिक यह नहीं बता पा रहे हैं कि पुनर्विकास के बाद होटल फिर से खुल जाएगा या नहीं। गिरगांव में अच्छा कारोबार था।
राजेश खन्ना के संघर्ष का साथी सनशाइन
होटल सनशाइन के सामने सरस्वती सदन के निवासी और हिंदी फिल्मों के सुपर स्टार राजेश खन्ना के पड़ोसी बताते हैं कि इस होटल से हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की सैकड़ों यादें जुड़ी हुई हैं। यह होटल उनके मुंबई आने से पहले से चल रहा है। वह होटल के सामने सरस्वती सदन भवन में रहता थे। वे घंटों इस होटल में बैठकर चाय-सिगरेट पीते थे। जब तक ‘आराधना’ हिट नहीं हुई, तब तक उनकी ‘इम्पाला’ कार इस पूरे इतिहास की गवाह बनकर होटलों और इमारतों के सामने खड़ी रही। एक सच्चे गिरगावकर, शिवसेना नेता प्रमोद नवलकर सुबह 6:30 बजे इस होटल में दिखाई देते थे।