खरी-खरी
गुरू पूर्णिमा पर्व की, हृदय बधाई देत।
गुरु जीवन के तमस को, पल भर में हर लेत।।
पल भर में हर लेत, ज्ञान के चक्षु खोलता।
बिन गुरु बालक सदा, भंवर में फंसा डोलता।।
सच्चे गुरु का मिल सके, स्नेह और आशीष।
समझो कृपा कर रहे, परम ब्रह्म जगदीश।।
अशोक वशिष्ठ