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खरी-खरी:अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

खरी-खरी
रिक्शे वाला बन गया, सी एम हुआ कमाल।

भौचक्के सब रह गये, समझ न पाये चाल।।

समझ न पाये चाल, उधर उद्धव चकराये।

शिवसेना को अब, तो केवल राम बचाये।।

दस दिन में ही हुआ, गज़ब का गड़बड़झाला।

चाय वाला दिल्ली में, मुंबई रिक्शे वाला।।
अशोक वशिष्ठ 

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