Home अपराध बेटे के गैर इरादतन हत्या के आरोप में मां को अदालत ने पाया दोषी

बेटे के गैर इरादतन हत्या के आरोप में मां को अदालत ने पाया दोषी

by zadmin

29 वर्षीय महिला को अपने ही बच्चे के गैर इरादतन हत्या का कोर्ट ने ठहराया दोषी,
बिताई गई सजा की अवधि को कोर्ट ने दी उतनी ही सजा

ठाणे- ठाणे सेशन कोर्ट ने 29 वर्षीय एक महिला को अपने बच्चे की गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी ठहराया है. महिला को जितनी अवधि की कैद की सजा सुनाई गई है, उतनी सजा वह अगस्त 2018 को गिरफ्तारी के बाद से काट चुकी है. 

भिवंडी तालुका के धापसी पाड़ा की रहने वाली महिला को ठाणे की अदालत ने 9 अप्रैल को दोषी ठहराया था, लेकिन उस फैसले की प्रति अब उपलब्ध कराई गई. ठाणे के अतिरिक्त सत्र अदालत के न्यायाधीश आर.वी. ताम्हाणेकर ने अपने आदेश में कल्पना नीलेश गायकर को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया और जेल की सजा सुनाई, जो 10 अगस्त 2018 से 30 मई 2020 के बीच उसके जेल में बिताई अवधि में पूरी मानी जाएगी. न्यायाधीश ने उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. अतिरिक्त लोक अभियोजक एस.एच. म्हात्रे के अनुसार, यह घटना आठ अगस्त, 2018 को हुई, जब महिला ने अपने छह महीने के बेटे को नाले में डुबो दिया था. महिला काफी समय से बीमार थी और बच्चे के लगातार रोने के कारण उसने यह कदम उठाया. हालांकि महिला के वकील सुनील लासने ने नरमी बरतने की गुहार लगाई और अदालत से कहा कि उसके दो और बच्चे हैं, जिनकी उम्र एक और सात साल है. दूसरी ओर, अभियोजन पक्ष ने अपराध के लिए कानून के तहत महिला को अधिकतम सजा (10 साल तक) देने की मांग की. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के भाग दो (गैर इरादतन हत्या) के तहत आरोप साबित कर दिया है. अदालत ने कहा, ‘‘ ऐसे कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं हैं, जिससे महिला के आदतन अपराधी या किसी अन्य मामले में दोषी होने की बात सामने आए. साथ ही, यह अपराध भी गंभीर है. महिला को 10 अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया गया था और वह अंतरिम जमानत मिलने तक हिरासत में थी. भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के भाग दो में अधिकतम 10 वर्ष कारावास या जुर्माना या दोनों सजा एक साथ दिए जाने का प्रावधान है, अगर कोई काम इस नियत के साथ किया जाए कि इससे किसी की मौत हो. 
न्यायाधीश ताम्हाणेकर ने कहा, ‘‘ यह ध्यान देने योग्य बात है कि आरोपी एक मां है, जिसके बच्चे की मौत हुई है. इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उसने अपना बच्चा खोया है. इसलिए दलीलों पर गौर करते हुए, मेरी राय है कि आगे महिला को हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है और इसलिए जो समय उसने जेल में काट लिया है उसे अब जेल में रखने की आवश्यकता नहीं है. 

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