राष्ट्रीय लोक अदालत में मोटर दुर्घटना दावों के 333 में से 293 मामले निपटाए गए
न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी ने 12 करोड़ रूपए बतौर मुआवजे दिए
नवीन कुमार
मुंबई:राष्ट्रीय लोक अदालत में बेस्ट, एमएसआरटीसी, एमएसीपी और एमएसीटी से जुड़े 333 मामलों में से 293 मामले निपटाए गए। इन मामलों के निपटान के लिए पिछले दिनों मुंबई में राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित की गई थी।
इस अदालत में सबसे ज्यादा 113 मामले न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के थे और इस कंपनी ने इन मामलों के निपटान के लिए सक्रिय रूप से हिस्सा लिया और 12 करोड़ रूपए की राशि मुआवजे के तौर पर दिए।
एमएसीटी से पहले निपटाए गए मामले में से एक मामला एमएसीपी (संख्या 1424/2015) का था जिसके लिए बतौर मुआवजा 75 लाख रूपए दिए गए। यह मामला 17/07/2015 को मुंबई पुणे एक्सप्रेस हाईवे पर हुई दुर्घटना से जुड़ा हुआ है। विधवा, दो नाबालिग बच्चे और मां को छोड़कर दुर्घटना में शामिल वाहन का न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से बीमा कराया गया था और मृतक पेशे से बिल्डर था। 2 करोड़ रुपए बतौर दुर्घटना बीमा का दावा दायर किया गया था और कंपनी की ओर से अदालत में इसे निपटाया गया।
राष्ट्रीय लोक अदालत में श्री एएम की अध्यक्षता में बनाए गए पैनल में श्री चांडेकर और मुंबई मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण के अध्यक्ष श्री एससी चांडक शामिल थे।
49 लाख रूपए की मुआवजे की राशि के लिए क्वाड्राप्लेजिक और पैराप्लेजिक के दो दावों का निपटारा भी किया गया। इसमें दोपहिया वाहन के दुर्घटना का मामला है। इस मामले में चतुर्भुज और सतीश यादव जो एक होनहार छात्र थे दुर्घटना के शिकार हुए थे। इस दुर्घटना के कारण वे पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो गए थे। लेकिन इस मुआवजे ने उन्हें जीवन का एक नया आयाम दिया।
उच्च न्यायालय में भी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी के 5.25 करोड़ रुपए के लिए 56 दावों का निपटारा किया गया।
बांबे हाई कोर्ट के न्यायाधीश श्री एए सैयद, श्री एसएस शिंदे और श्री एसवी कोतवाल की मौजूदगी में श्री सुराना (सदस्य सचिव एमएसएलएसए), एडवोकेट प्रदीप नायर, न्यू इंडिया टीम की ओर से सौरिन साहा, लता अय्यर (मुंबई लीगल हब के क्षेत्रीय कार्यालय प्रभारी) ने दावेदारों को चेक सौंपा। एमएसीटी के अध्यक्ष श्री एससी चांडक को 40 लाख रुपए का चेक सौंपा गया। इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग कर रहे अनिरुद्ध एक दुर्घटना का शिकार हो गए और 23 दिनों तक कोमा में रहे। उन्हें जीवन भर के लिए अक्षम कर दिया। उन्हें 32 लाख 52 हजार 404 रुपए का मुआवजा मिला।
राष्ट्रीय लोक अदालत में मोटर दुर्घटना दावों के 333 में से 293 मामले निपटाए गए
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