राकांपा ने नवाब मलिक से सभी पद छीना
मुंबई: आखिर राजनीतिक और संवैधानिक दबाव के कारण राष्ट्रवादी कांग्रेस ने नवाब मलिक को मुंबई अध्यक्ष पद और मंत्रालयीन विभाग छीन कर बेगाना बना दिया। अब वे बिना विभाग के मंत्री रहेंगे और बाद में धीरे से कैबिनेट से बेदखल किये जाने की आशंका व्यक्त की जाने लगी है. अनिल देशमुख के बाद नवाब मलिक दूसरे मंत्री हैं जो सलाखों के पीछे हैं. बृहस्पति वार को राकांपा की एक विशेष बैठक में मलिक के मंत्रालय का विभाग अन्य मंत्रियों को सौंपने का फैसला किया गया है. मनपा में राकांपा गट के नेता राखी जाधव और नरेंद्र राणे को भी मुंबई की अध्यक्षता का प्रभार दिया गया है। यह जानकारी मंत्री और राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने दी है.
नवाब मलिक की जमानत अर्जी खारिज हो जाने के बाद पार्टी ने अस्थायी रूप से दूसरों को उनकी जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है,यह जानकारी जयंत पाटिल ने दी इसके अनुसार उनके विभाग की जिम्मेदारी अन्य मंत्रियों को सौंपी जाएगी। नवाब मलिक वर्तमान में गोंदिया और परभणी के संरक्षक मंत्री हैं। धनंजय मुंडे को परभणी का और प्राजक्त तानपुरे को गोंदिया का प्रभार दिया जाएगा। इस आशय का प्रस्ताव मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सौंपा जाएगा।
जयंत पाटिल ने कहा कि नवाब मलिक और अनिल देशमुख को गलत तरीके से हिरासत में रखा गया है. उन्हें . न्याय मिलने तक यह वैकल्पिक व्यवस्था रहेगी। नवाब मलिक से मंत्री पद का इस्तीफा न लेने का पार्टी ने निर्णय लिया गया है.
नवाब मलिक की गिरफ्तारी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के परिवार से जमीन की खरीद से जुड़ी है। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है। ईडी ने इस मामले में 23 फरवरी को नवाब मलिक को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद ईडी ने उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया और सात मार्च को उसकी रिमांड खत्म होने के बाद उन्हें और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
इस बीच, नवाब मलिक पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर से कुर्ला में गोवा परिसर में तीन एकड़ जमीन खरीदने का आरोप है। उन्होंने इसके लिए महज 55 लाख रुपये का भुगतान किया था। जांच के मुताबिक जमीन की मौजूदा कीमत करीब 300 करोड़ रुपये है।