सत्ता के लिए संस्कृति से समझौता नहीं करना चाहिए-महामंडलेश्वरविश्वेश्वरानंद गिरी
मुंबई: सत्ता के लिए संस्कृति से समझौता नहीं करना चाहिए। मैं राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं लेकिन जब-जब हिंदू धर्म पर आंच आई तब-तब हमने उसके खिलाफ आवाज उठाने का काम किया। यह विचार महामंडलेश्वर परम पूज्य श्री विश्वेश्वरानंद गिरी ने व्यक्त किये। वह मालाड के मालवणी में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और उनके पलायन पर आधारित ‘मुंबई सुरक्षिततेच्या उंबरठ्यावर’ नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे.इस विमोचन समारोह का आयोजन स्वातंत्र्यवीर विनायक सावरकर की पुण्यतिथि के अवसर पर हिन्दू रक्षा मंच ने वर्ली स्थित सेंचुरी मार्केट स्थित मुंबई शहीद स्मारक में किया था.
महामंडलेश्वर गिरी जी महाराज ने वीर सावरकर को याद करते हुए कहा कि आज उनकी पुण्यतिथि है इसलिए उनके आदर्शों को अपनाकर समस्त हिंदुओं को एक होकर समाज के विघटन को रोकने के लिए तैयार होना चाहिए। पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि यह मात्र एक पुस्तक नहीं बल्कि हिंदुओं पर हुए अत्याचार की सच्ची कहानी है इसलिए अगर हिंदू समाज को जिंदा रखना है तो हिंदुओं को जागरूक होना पड़ेगा। इसके साथ-साथ अपनी संस्कृति को बचाने के लिए हर लड़ाई लड़नी पड़ेगी। महाराज जी ने कहा कि मुंबई में एक ऐसा समाज है जिसके लाउडस्पीकर से जनता परेशान है, लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता। लेकिन जब हमारे मंदिरों की घंटियां बजती हैं तो आसपास के लोग उसका विरोध करते हैं।
धर्मरक्षा मंच की ओर से आयोजित इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में उपस्थित भाजपा विधायक नितेश राणे , मुंबई भाजपा अध्यक्ष व विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा, आचार्य पवन त्रिपाठी, सचिव सचिन शिंदे और पुस्तक के लेखक प्रकाश गाडे सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे।