खरी-खरी
खरी-खरी कहते हुए, होना मत भयभीत।
अंत समय में खरे की, ही होती है जीत।।
चापलूस की बात का, करो नहीं विश्वास।
बात खरी पहचानिए , रखें उसी से प्रीत।।
ऊँचे सुर में झूठ का, पीट रहे जो ढोल।
फटे ढोल संग कब तलक, गा पायेंगे गीत।।
●अशोक वशिष्ठ
खरी-खरी
खरी-खरी कहते हुए, होना मत भयभीत।
अंत समय में खरे की, ही होती है जीत।।
चापलूस की बात का, करो नहीं विश्वास।
बात खरी पहचानिए , रखें उसी से प्रीत।।
ऊँचे सुर में झूठ का, पीट रहे जो ढोल।
फटे ढोल संग कब तलक, गा पायेंगे गीत।।
●अशोक वशिष्ठ