अलविदा भारत रत्न लता मंगेशकर जी
संजीव शुक्ल
मुंबई , दुनिया भर में अपनी आवाज़ के लिए विख्यात गायिका लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर का जिस दिन निधन हुआ उसी ६ फरवरी की ही शाम को मुंबई स्थित दादर शिवाजी पार्क में राजकीय सम्मान के साथ दाह संस्कार कर दिया गया। ६ फरवरी २०२२ को सुबह ८.१ २ मिनट पर उनकी मौत हो गयी थी। वे ९२ वर्ष की थी। उन्हें ख़राब स्वास्थ्य के कारण ८ जनवरी को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था २८ दिनों तक वहां भर्ती थी। उनकी मौत की वजह डॉक्टरों ने मल्टी ऑर्गन्स फेलियर बताया। स्वास्थ्य अत्यंत ही ख़राब हो जाने के कारण ५ फरवरी को उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और ६ फरवरी की सुबह को लता जी ने अंतिम सांस ली। अस्पताल से उनका पार्थिव शरीर दक्षिण मुंबई स्थित पेडर रोड के प्रभु कुंज निवास पर लाया गया। यहाँ अमिताभ बच्चन सहित अनेक हस्तियों ने लता जी के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन किया। उसके बाद उनका पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए सेना के वाहन में दादर शिवाजी पार्क ले जाया गया। यहाँ लता जी का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे , केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार , मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे, अभिनेता शाहरुख़ खान सहित तमाम राजनीतिक, सामाजिक , खेल , फिल्म जगत की हस्तियों ने श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी ने चरणों में पुष्प चक्र चढ़ाकर पार्थिव शरीर की परिक्रमा करके श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ठाकरे ने सपत्नीक श्रद्धा सुमन अर्पित किये। उपमुख्यमंत्री अजित पवार, गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने भी श्रद्धांजलि दी । विधान सभा में विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मंत्री आदित्य ठाकरे, मंत्री सुभाष देसाई, आदि गणमान्य भी यहाँ मौजूद थे। लता जी को क्रिकेट में बहुत दिलचस्पी थी। क्रिकेटर एवं भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को अपने बेटे जैसे मानती थी. सचिन तेंदुलकर ने सपत्नीक लताजी को शिवाजी पार्क में आकर श्रद्धांजलि दी। लता जी का अंतिम संस्कार उनके नज़दीकी रिश्तेदार ने किया। इस अवसर पर लता जी के परिजनों से प्रधानमंत्री ने बात की। लता जी का जन्म २८ सितम्बर १९२९ में हुआ था। १३ साल की उम्र से गायन शुरू करनेवाली लता मंगेशकर ने करीब एक हज़ार फिल्मों के लिए तीन दर्जन भाषाओं में करीब तीस हजार गाने गाये। जब लता जी १३ वर्ष की थी तभी उनके पिता जी का निधन हो गया इसलिए लता जी के ऊपर ज़िम्मेदारियाँ आ गयी जिससे वह आगे पढ़ाई नहीं कर सकी लेकिन लता जी छह विश्वविद्यालयों ने मानद डिग्रियां दी है। लता मंगेशकर जब गायिकी के शिखर पर थी तब उनको उनके खाने में ज़हर भी दिया जा रहा था इस बात का पता जब लता को डॉक्टर से चला तो उनका उस समय का रसोइयां भाग गया। जिस लता जी ने हज़ारों रोमांटिक गीत गए वास्तविकता यह रही की उस लता जी के जीवन में एकाकीपन ही रहा। रहे न रहे हम महका करेंगें….. , मेरी आवाज़ ही पहचान है …… , वो साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना .. यारा सिली सिली बिरहा की रात में जलना। ऐसे अनेकों गाने हैं जिसे सुनने के बाद मन्त्र मुग्ध हो जाता है। लता जी ने जब १९६२ भारत – चीन युद्ध के बाद एक कार्यक्रम में ” ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आँख में भर लो पानी” गाया था तब वहां मौजूद तब के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आंखें नम हो गयी थी ।लता मंगेशकर ने गानों की रॉयल्टी पर गायक/गायिका का आंशिक हिस्सा हो इसके लिए आवाज़ बुलंद की थी इसके खिलाफ तब के शो मैन थे लेकिन लता जी अपनी मांग पर अड़ी रही और उनकी यह मांग मंज़ूर हुई। लता मंगेशकर जी ने पेडर रोड पर फ्लाय ओवर पर आपत्ति जताई थी । फ्लाय ओवर बन जाने से सामने की ईमारत में स्थित उनके फ्लैट में खिड़की से ताका झांकी की आशंका , और सुरक्षा को खतरे की संभावना उन्हें परेशान किये हुए थी।
नरेंद्र मोदी को लता जी भाई मानती थी और २०१३ में एक कार्यक्रम जिसमें मोदी जी मौजूद थे उसमें उन्होंने कहा था कि वह नरेंद्र भाई को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहती हैं। मोदी जी २०१४ में पहली बार प्रधानमंत्री बने , २०१९ में दूसरी बार। लता जी के निधन का पता चलने के बाद प्रधानमंत्री अपने निर्धारित कार्यक्रम छोड़कर मुंबई आये और उन्होंने लताजी को शिवा जी पार्क में भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इसके पहले वह एक वर्चुअल रैली को सम्बोधित करने के दौरान भी लता जी के निधन पर गहरा शोक भी जताया। लता जी को देश विदेश की तमाम हस्तियों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। गोवा के मंगेशी गांव से मूलतः ताल्लुक रखने वाली लता मंगेशकर जी को विदाई देने के लिए गोवा के मुख्यमंत्री भी आये थे। लता जी का जन्म इंदौर में हुआ था उनकी मां गुजराती थी। पहले लता जी का नाम हेमा रखा गया था लेकिन बाद में उनके पिता जी ने एक नाटक के पात्र से प्रभावित होकर उनका नाम लता रख दिया। लता जी का परिवार बाद में महाराष्ट्र के सांगली में आ गया। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर उन्हें संगीत सिखाया करते थे। पिता के निधन के बाद लता जी के ऊपर घर की ज़िम्मेदारी आ जाने से उन्हें अभिनय भी करना पड़ा लेकिन गीत गायन उनके जीविका का आसरा बना। लता जी ने एक फिल्म में गाना गाया तो उनकी आवाज़ बहुत पतली है कह कर रिजेक्ट कर दिया गया था। उस लता का नाम सबसे अधिक गाना गाने के लिए गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज़ है।
लता जी के कुल खानदान की बात करें तो हेमा ( लता ) का जन्म एक कर्हाडा ब्राह्मण दादा और गोमंतक मराठा दादी के परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ। उनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर था। वह शास्त्रीय गायक थे। वह दीनानाथ की सबसे सबसे बड़ी बेटी थी। उनके पिता रंगमंच के कलाकार और गायक थे। साल १९४२ में दिन नाथ मंगेशकर का देहांत हो गया था तब लता जी की उम्र तेरह साल थी। लता की तीन बहनें और एक भाई में सबसे बड़ी थी।
पिता की मृत्यु के बाद लता को पैसों की बहुत तंगी झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की कारण से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर (१९४२ ) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (१९४३ ), गजभाऊ (१९४४ ), बड़ी माँ (१९४५ ), जीवन यात्रा (१९४६ ), माँद (१९४८ ), छत्रपति शिवाजी (१९५२ ) शामिल थी। बड़ी माँ, में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका आशा भोसले ने निभाई । उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन किया। लता की तीन बहनें और एक भाई में सबसे बड़ी थी। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपना करियर बनाया।
जिस समय लताजी ने (१९४८ ) में पार्श्वगायिकी में कदम रखा तब इस क्षेत्र में नूरजहां, अमीरबाई कर्नाटकी, शमशाद बेगम और राजकुमारी शीर्ष पर थी।१९४५ में उस्ताद गुलाम हैदर अपनी आने वाली फ़िल्म के लिये लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गये। वे चाहते थे कि लता उस फ़िल्म के लिये पार्श्वगायन करे। लेकिन गुलाम हैदर को निराश होना पड़ा । १९४७ में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई।
१९४९ में लता को ऐसा मौका फ़िल्म महल का आयेगा आनेवाला गीत से मिला। यह गीत मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही । लता मंगेशकर को कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। १९६९ में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार मिला था। १९८९ में दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिला। १९९९ में पद्म विभूषण पुरस्कार मिला। लता जी के नाम दुनिया में सबसे अधिक गाना गाने का रिकॉर्ड दर्ज़ है।
१९९३ में उन्हें फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। १९९६ में स्क्रीन का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। १९९९ में ज़ी सिने का लाइफ टाइम्स अवार्ड दिया गया। २००१ में लता जी को महाराष्ट्र भूषण अवार्ड दिया गया। इसके आलावा भी लता जी को कई पुरस्कार दिए गए हैं। जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब लता जी को साल २००१ में भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया गया। लता जी राज्य सभा सदस्य भी थी। वाजपेयी जी उनको बहुत मानते थे। संसद भवन में वाजपेयी जी को लता जी की अगवानी करने के लिए इंतज़ार करते भी देखा गया था । लता जी को भावभीनी श्रद्धांजलि उनकी ही आवाज़ में गाए गए गाने से ” तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे , जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे …. ।