आयातीत नेताओं पर भरोसा
आखिर एक लिंगायत नेता बसवराज बोम्मई को कर्नाटक का ताज भाजपा ने सौंप दिया. यह चयन उस स्थान पर किया गया जिस पर मूल भाजपा नेता येदियुरप्पा विराजमान थे. इस तरह भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर बाहर से आये नेता को बड़ी जिम्मेदारी सौप दी. ऐसा नहीं था कि बसवराज की कद काठी का मूल गोत्र का नेता भारतीय जनता पार्टी के पास नहीं था. लेकिन
हाल के दिनों में भारतीय जनता पार्टी का बदला हुआ अंदाज देखने को मिल रहा है। पार्टी प्रमुख पदों पर दूसरी पार्टी से आए लोगों को मौका दे रही है। हाल ही में असम में कांग्रेस से आए हिमंत बिस्व सरमा पर भरोसा जताते हुए मुख्यमंत्री की गद्दी उन्हें सौंप दी गयी. अब कर्नाटक में बसवराज बोम्मई को येदियुरप्पा का राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर फिर एक बार दूसरे दलों से आए नेताओं पर भरोसा जताया है।28 जनवरी, 1960 को जन्मे बसवराज बोम्मई लिंगायत समुदाय से आते हैं। वह बीएस येदियुरप्पा के करीबी हैं और ‘जनता परिवार’ से ताल्लुक रखते हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई के बेटे हैं।वह येदियुरप्पा मंत्रिमंडल में गृह मंत्री थे. वैसे बसवराज बोम्मई 2008 में भाजपा में शामिल हुए थे। पेशे से इंजीनियर बोम्मई ने अपने करियर की शुरुआत टाटा समूह से की थी।
हाल में असम में हिमंत बिस्व सरमा को नया मुख्यमंत्री तय कर भाजपा ने दूसरे दलों से पार्टी में आने वाले नेताओं के लिए नया रास्ता खोल दिया। पूर्वोत्तर के छोटे राज्यों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश बड़े राज्यों में भाजपा नेतृत्व मुख्यमंत्री पद के लिए अपने काडर से आने वाले या गैर कांग्रेसी पृष्ठभूमि के नेताओं को ही आगे बढ़ाता रहा है, लेकिन असम से उसकी यह हिचक टूटी है। दरअसल, पार्टी अब काडर व सामाजिक समीकरण से ज्यादा काबिलियत को अहमियत दे रही है। हालांकि इससे पहले पार्टी ने अर्जुन मुंडा को झारखंड में सीएम बनाया था, जो भाजपा से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा में थे। वहीं,2016 में कांग्रेस से भाजपा में आए एन बीरेन सिंह अगले ही साल मणिपुर में मुख्य मंत्री बने थे. हाल की एक और राजनीतिक घटना क्रम में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी को राज्य के विधायक दल के नेता की जिम्मेदारी सौंप दी. यह इसलिए भी चौंकाता है , क्योंकि भाजपा का ट्रेंड रहा है कि वह महत्वपूर्ण पदों के लिए अपने कैडर पर ही भरोसा करती है।
हाल ही में हुए मोदी कैबिनेट के विस्तार में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंत्री बनाया गया है। सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिराकर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार की मध्य प्रदेश में वापसी कराने में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अहम भूमिका रही थी। तभी से उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिपरिषद में जगह मिलने की चर्चाएं चल रही थी.देखा जाये तो मोदी और शाह के नेतृत्व में भाजपा का विकास तीव्र गति से हुआ है.साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और उसके बाद अमित शाह के हाथ में पार्टी की कमान आने के बाद भाजपा में कई बड़े बदलाव सामने आए हैं। भाजपा ने बीते छह-सात साल में अपना राष्ट्रव्यापी विस्तार किया है। इस दौरान वह देश और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी (सदस्य संख्या के हिसाब से) बनने में सफल भी रही है। देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश तक उसकी व्यापक पहुंच बनी है। इस प्रक्रिया में उसके साथ दूसरे दलों से बड़ी संख्या में आए प्रमुख नेता और कार्यकर्ता भी जुड़े हैं।इस व्यापकता के कारण महत्वपूर्ण पदों पर बाहरी लोगों को विराजित किया जा रहा है. इसका पार्टी कैडर पर कितना दूरगामी असर होगा यह आनेवाला समय बताएगा।