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खरी-खरी:☆ अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

●खरी-खरी
एक म्यान में दो नहीं , रह सकतीं तलवार।

काँग्रेस पंजाब में , होने चली शिकार ।।

होने चली शिकार , सवारी दो नावों पर।

किसकी नैया पार , घात किसके ख़्वाबों पर।।

नज़रें कुर्सी पर लगीं , दोनों ही हैं गिद्ध।

किसकी कप्तानी चले , और कौन हो सिद्ध।।
☆ अशोक वशिष्ठ 

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