मुंबई: एक तरफ कोरोना काल में अधिकतर गतिविधियां बंद हैं, मगर आनलाइन पर साहित्यिक गतिविधियां अनवरत चालू हैं। इसी क्रम में अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद महिला प्रकोष्ठ मुंबई की तरफ से मई से जून तक काव्य सृजन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित इस प्रतियोगिता को तीन श्रेणियों में रखा गया था। स्पर्धा के दस विजेताओं के साथ संपन्न कवि सम्मेलन में देश भर के तमाम कवि, पत्रकार एवं साहित्यकार शामिल हुए। अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद के चेयरमैन हृदय नारायण मिश्र, मुख्य अतिथि व लोकप्रिय हास्य कवि सुरेश मिश्र और छ राज्यों की प्रभारी डा. वसुंधरा पाण्डेय ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए। अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद की मुंबई जिला अध्यक्ष डॉ. पूजा अलापुरिया के नेतृत्व में श्रीमती किरण चैनानी,डा.मंजूलता, श्रीमती मीला सेठ, श्रीमती मुक्ता वर्मा, श्रीमती अंजना गुप्ता, ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अथक परिश्रम किया। हास्य कवि सुरेश मिश्र ने जहां अपनी कविताओं से श्रोताओं को लोटपोट कर दिया तो उनकी अवधी कविता (मां का दर्द) सुनकर लोगों की आंखें भर आईं। उनका उम्मीद भरा गीत –
हम तिमिर का नाश करके भोर लाएंगे,
फिर खुशी के दौर आएंगे।
फिर नया उल्लास होगा, फिर नया एहसास होगा
तोड़ पिंजरे को उड़ेंगे,तो नया आभास होगा
अब न कोई दास होगा,हर दुखों का नाश होगा
जिंदगी की हर डगर पर, देखना मधुमास होगा
सुख के मेघा गगन में, चहुंओर छाएंगे
फिर खुशी के दौर आएंगे।
लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि सम्मेलन में किमया कदम,शर्विल शेलार,सेजल दुधाने,मोहन बोकाडे,तरुनेंद्र सिंह, कनिष्का, प्रियंका तथा माला ठाकुर ने अपनी अपनी कविताओं पर वाहवाही लूटी। कवि सम्मेलन का सफल संचालन श्रीमती वृषाली लोखंडे ने किया जबकि आभार श्रीमती अंजना बालोदी ने व्यक्त किया। सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।