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रोडकरी यानी मोदी मंत्रिमंडल के अंगद -नितिन गडकरी

by zadmin

हाल ही में मोदी मंत्री मंडल में फेर बदल के बावजूद सड़क व परिवहन  मंत्री नितिन गडकरी अपने मंत्रालय में बरगद के पेड़ की तरह जमे रहे क्योकि काम बोलता हैं । नितिन गडकरी ने कभी  कहा था  कि हमारे मंत्रालय ने 2025 से पहले सड़क हादसों में 50 फीसदी की कमी लाने की कसम खाई है  ।उन्होंने ये भी कहा था कि 2030 तक हम रोड एक्सीडेंट में होने वाली मौतों को ‘शून्य’ कर सकते हैं । अब नितिन गडकरी का मोदी सरकार  में सात सालों का ट्रैक रिकॉर्ड देखकर आसानी से कहा जा सकता है कि अगर सड़क हादसों में 50 फीसदी कमी लाने की बात नितिन गडकरी ने कही है, तो मान ही लेना बेहतर है. दरअसल, नितिन गडकरी अपने किए वादों को पूरा करने के लिए जाने जाते हैं । साथ ही वो इन वादों को तय समय में ही पूरा कर देते हैं । बात 1995 की है जब  महाराष्ट्र की भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में नितिन गडकरी को लोकनिर्माण मंत्री बनाया गया था । अपने चार साल के कार्यकाल में गडकरी ने महाराष्ट्र का कायाकल्प कर दिया. राज्य में दूर-दराज के 13,756 गांवों में सड़कें बिछाने से लेकर मुंबई में 55 फ्लाईओवर का निर्माण कर गडकरी ने सबको चौंका दिया था । गडकरी के नेतृत्व में मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे का निर्माण दो साल में ही कर लिया गया. नितिन गडकरी ने अपने धड़ाधड़ काम करने की स्टाइल से सबका दिल जीता. सड़क निर्माण को लेकर गडकरी के इस जुनून को देखते हुए शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे उनका नाम ‘रोडकरी’ रख दिया था ।

नितिन गडकरी विकास की योजनाओं के लिए पैसों की कमी नहीं होने देते हैं । गडकरी के लिए आईडिया सबसे महत्वपूर्ण चीज है । बीते साल नितिन गडकरी ने व्यवसायियों की मदद के लिए एक ऐसा ही पोर्टल लांच किया था । इसमें रिसर्च और इनोवेशन जुड़ा हो, तो वो खुद आगे बढ़कर इसे खास तवज्जो देने और पूंजी उपलब्ध कराने का भरोसा भी देते हैं । गडकरी ने लोगों को ये भी सुझाया कि चीन से आयात होने वाले सामानों को देश में ही बनाने की कोशिश की जा सकती है  । विकास के प्रोजेक्ट्स को लेकर नितिन गडकरी का सीधा सा कहना है कि राज्य सरकारें तमाम क्लीयरेंस लेकर दें, तो बड़ी से बड़ी योजनाओं को शुरू करने की जिम्मेदारी उनकी है । नितिन गडकरी का मानना है कि प्रोजेक्ट्स जनता की भलाई के लिए हों, तो उनका बजट कई लाख करोड़ होने पर भी धन की समस्या नहीं होगी  । गडकरी का मानना रहा  है कि पैसों की कमी नहीं है, सरकारी लोगों की मानसिकता में कमी है ।

2016 में पहली बार नितिन गडकरी ने सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल की बात कही थी । मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल जुलाई तक 11 राज्यों में 1 लाख किमी सड़क बनाने के लिए प्लास्टिक कचरे का प्रयोग किया जा चुका है । भारत में इस तरह के इनोवेशन को नितिन गडकरी हमेशा से ही बढ़ावा देते रहे हैं । पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों का असर आम लोगों पर न हो, इसके लिए उन्होंने भारत में इलेक्ट्रिक वाहन के इस्तेमाल पर जोर देने का आईडिया दिया । गडकरी का मानना है कि इससे पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों की समस्या से राहत मिलेगी और प्रदूषण में भी कमी आएगी । वो खुद भी इलेक्ट्रिक वाहन का ही उपयोग करते हैं. उन्होंने मोदी सरकार को सभी मंत्रियों और अधिकारियों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन का इस्तेमाल अनिवार्य करने का सुझाव भी दिया है ।

नितिन गडकरी अपने अधीन आने वाले मंत्रालय में हमेशा से ही नियमों के लेकर सख्त मिजाज वाले नेता के तौर पर जानते हैं  । गडकरी सरकारी अफसरों के टालमटोल करने वाले रवैये पर शिंकजा कसने के लिए मशहूर हैं. मंत्रालय के प्रोजेक्ट्स को लेकर कैजुअल अप्रोच रखने वाले सरकारी अधिकारियों को नितिन गडकरी सेवानिवृत्ति देने के पक्षधर माने जाते हैं । तय समय में प्रोजेक्ट को अप्रूव नहीं करने वाले अधिकारियों को लेकर गडकरी हमेशा से ही सख्त रहे हैं । नितिन गडकरी ने एक बयान में कहा था कि उन्होंने अपने मंत्रालय में ऐसी व्यवस्था बना रखी है कि अगर कोई प्रोजेक्ट तीन महीने में अप्रूव नहीं होता, तो जिस अधिकारी की वजह से देर हुई, उसकी मेज पर नारियल देकर रिटायरमेंट का पत्र सौंप दिया जाता है ।सरकारी अधिकारियों की लापरवाही पर गडकरी अक्सर नाराजगी जताते रहे हैं । एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अधिकारियों पर भड़कते हुए कहा था कि ‘हम गाय और भैंस घर पर पालते हैं, वो ज्यादा दूध दें, इसलिए उनको अच्छी खुराक देते हैं और खुराक देकर भी दूध ही न मिले, तो ऐसे जानवरों का उपयोग ही क्या है? नितिन गडकरी ने अफसरों पर सीधा सवाल दागते हुए कहा था कि क्या सरकार इसलिए है कि हम लोगों को फोकट में तनख्वाह दें, इतने अफसरों की, इतने निवेश की जरूरत क्या है?

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद पीएम मोदी ने उनसे पूछा था कि आपको कौन सा मंत्रालय चाहिए? सवाल के जवाब में गडकरी ने सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी मांग ली । दो बार भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी के कद के हिसाब से यह मंत्रालय थोड़ा छोटा था । तो, पीएम मोदी ने कहा कि यह मंत्रालय शीर्ष मंत्रालयों में नहीं आता है । प्रधानमंत्री की इस बात पर उन्होंने कहा कि मुझे महाराष्ट्र में सड़कों को बनाने का अनुभव है और यह काम उन्हें पसंद है ।नितिन गडकरी ने सड़क हादसों को 50 फीसदी कम करने की बात यूं ही नहीं कही । तमिलनाडु में सड़क हादसों में 53 फीसदी तक कमी आ भी चुकी है  । बीते महीने ही गडकरी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारत में 50 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं सुरक्षा नियमों को दरकिनार कर बनाई गई सड़क के चलते होती हैं  । कॉस्ट सेविंग करने के लिए ज्यादातर ठेकेदार सड़क में बहुत सारे ब्लैक स्पॉट छोड़ देते हैं, जो भविष्य में बड़ी दुर्घटना का कारण बन जाते हैं । गडकरी का मंत्रालय ऐसे ही ब्लैक स्पॉट्स को चिन्हित कर सुधारने के काम में लगा हुआ है ।

अशोक भाटिया,

स्वतंत्र पत्रकार

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