Home विविधासाहित्य ●खरी-खरी…..● अशोक वशिष्ठ

●खरी-खरी…..● अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

●खरी-खरी

मौसम भी होने लगा , है अब तो बेईमान।

कब क्या हो जाये यहाँ,  किसको है यह ज्ञान।।

किसको है यह ज्ञान , ग़ज़ब है प्रभु की माया।

कहीं बरसता मेह  , धूप होती कहीं  छाया ।।

जैसे भी हो बस  ,   हो जाये कोरोना कम ।

तभी समझिए होगा , जग में सुख का मौसम।।
● अशोक वशिष्ठ 

You may also like

Leave a Comment