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खरी-खरी…….अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

खरी-खरी
दीदी खेला कर गयीं , हारे मोदी शाह।

एड़ी चोटी ज़ोर भी , हो नहीं सका सहाय।।

हो नहीं सका सहाय , काम कोई युक्ति न आयी।

बंगाली दीदी ने ,  जमकर धूल चटायी।।

हारी नंदीग्राम , मगर फिर भी ख़ुश दीदी।

मोदीजी पर भारी , पड़ गयीं देखो दीदी।।
अशोक वशिष्ठ 

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