●खरी-खरी
बढ़ता ही जा रहा है , कोरोना का रोग।
जतन अधूरे हैं सभी , यह कैसा दुर्योग।।
यह कैसा दुर्योग , सभी हो रहे प्रभावित।
पसर रहा है रोग , कभी जो था आयातित।।
शासन करो उपाय , और दिखलाओ दृढ़ता।
कोरोना का दुष्प्रभाव, नित जाता बढ़ता।।
•••••••••••••••••••●अशोक वशिष्ठ