मोदी के उपचार से विपक्ष त्रस्त क्यों ? इसका जवाब एक जानकार राजनैतिक वैद्य ने बड़ा सुंदर समझाया।आयुर्वेद और मेडिकल सांईस में शहद को अमृत के समान माना गया है।लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि शहद को अगर कुत्ता चाट ले तो वह मर जाता है।यानी जो मनुष्यों के लिये अमृत हैं वह शहद कुत्तों के लिये जहर है।शुद्ध देशी गाय के घी को आयुर्वेद और मेडिकल सांईस औषधीय गुणों का भंडार मानता है।
मगर आश्चर्य, गंदगी से प्रसन्न रहने वाली मक्खी कभी शुद्ध देशी घी को नहीं खा सकती।गलती से अगर मक्खी देशी घी पर बैठ कर चख भी ले तो वो तुरंत तड़प तड़प कर वहीं मर जाती है।आर्युवेद में मिश्री को भी औषधीय और श्रेष्ठ मिष्ठान्न माना गया हैं।
लेकिन आश्चर्य, अगर गधे को एक डली मिश्री खिला दी जाए, तो कुछ समय में उसके प्राण पखेरू उड़ जाएंगे।यह अमृत समान श्रेष्ठ मिष्ठान, मिश्री गधा कभी नहीं खा सकता हैं।नीम के पेड़ पर लगने वाली पकी हुई निम्बोली में कई रोगों को हरने वाले औषधीय गुण होते हैं।आयुर्वेद उसे “उत्तम औषधि” कहता हैं।लेकिन रात दिन नीम के पेड़ पर रहने वाला कौवा अगर निम्बोली खा ले तो उस कौवे की मृत्यु निश्चित है।
मतलब, इस धरती पर ऐसा बहुत कुछ हैं… जो हमारे लिये अमृत समान हैं, गुणकारी है, औषधीय है…पर इस धरती पर ऐसे कुछ जीव ऐसे भी हैं जिनके लिये वही अमृत… विष है।मोदी वही गुणकारी अमृत औषधि है।लेकिन कुत्तों (आतंकवादी-दंगाई),मक्खियों (देशद्रोही-गंदगी),गधों (वामपंथी सोच-राजनैतिक मूर्ख)और
कौवों (स्वार्थी कपटी मीडिया) आदि के लिये… विष समान है।इसलिये यह कुछ तत्व इतने भयभीत हैं.
.अब मेरे इस कथन को आज देश में चल रही गतिविधियों के समीकरण से देखें तो पता चलेगा कि आखिर मोदी का विरोध इतने घटिये स्तर से किस तरह किया जा रहा है. चाहे राहुल हो या ममता या कि अरविन्द केजरीवाल या तेजस्वी, अखिलेश यादव, चाहे साम्यवादी ताकतें वे मोदी के आयुर्वेदिक उपचार से किस तरह बिलबिला रहे हैं. मोदी के कहने से विदेशों से आनन् फानन में क्रायोजेनिक ऑक्सीजन उपकरण भारत में आ जाते हैं. ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाकर राज्यों के अस्पतालों तक ऑक्सीजन टैंकर सीधे पहुंचाया जा रहा है. याद रखिये अकोला और लातूर में कुछ वर्षों पहले हुई पानी की भारी कमी को तत्कालीन भाजपा सरकार ने मध्यप्रदेश से वाटर ट्रेन चला कर पूरा किया था. वह एक ऐतिहासिक घटना थी. लेकिन मोदी के विरोधी मोदी के इस आयुर्वेदिक उपचार से त्रस्त हैं. देश में लॉकडाउन न लगाने का निर्णय पिछले लॉकडाऊन से लिया गया सबक है. देश में कोरोना का दूसरा दौरतेजी से बढ़ रहा है. इस वक्त कुम्भ को साधुओं ने मोदी की अपील पर रोक दिया. वे सांकेतिक कुम्भ कर रहे हैं. देश में लोकतंत्र की नैया इस कोरोना काल में सुरक्षित पार लगे इसलिए पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु,केरल और असम चुनाव में प्रचार कार्य को त्वरित सीमित किया गया है. देश की आर्थिक व्यवस्था न बिगड़े इसके लिए समय समय पर आर्थिक निर्णय लिए जा रहे हैं। कोरोना के दूसरे दौर में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज वितरण सहित आर्थिक अनुदान पहुंचाने की शुरुआत हो चली है. मोदी विरोधी अपनी विफलता छिपाने के लिए मोदी पर प्रहार कर रहे हैं लेकिन इन उपहारों का उपचार करने में वे सक्षम हैं,इसलिए दूसरा दौर भी भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा. खासकर महाराष्ट्र की दशा भी सुधरेगी क्योंकि यह देश का अकेला राज्य है जो किसी भी विपदा के बाद अपनी आर्थिक पटरी को तुरंत मजबूत कर लेता है. इसलिए ऐसे समय में संयम से काम लेने की जरूरत है. क्योंकि मोदी का उपचार दूरगामी होता है.
अश्विनीकुमार मिश्र