मनपा का अमानवीय रवैया -सेटिंग न होने से ऑक्सीजन सप्लायर का टेंडर ही नहीं खोला
मुंबई : इस कोरोना काल में मुंबई महानगरपालिका अपने अमानवीय रविये के चलते ऑक्सीजन सप्लाय करें वाले टेंडर को न खोले जाने का मामला प्रकाश में आया है. एक तरफ मुंबई के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी है दूसरी और मनपा के अधिकारी सेटिंग न हो पाने के कारण ऑक्सीजन के लिए मंगाए गए टेंडर को खोला ही नहीं है. यह आरोप भाजपा नगरसेवक और स्थाई समिति सदस्य विनोद मिश्रा ने लगाया है. उन्होंने कहा है कि शिवसेना के नेतृत्व वाली मनपा अमानवीय लापरवाही बरत रही है. जानबूझकर की गयी लापरवाही का खामियाजा मुंबईकर भुगत रहे हैं ज्ञात हो कि सेंट्रल परचेज डिपार्टमेंट (सीपीडी) के माध्यम से मुंबई मनपा ने अपने सभी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन, लिक्विड ऑक्सीजन और नाइट्रस ऑक्साइड के लिए 23 अक्टूबर, 2020 को निविदाएं (क्रमांक : 7100183334) आमंत्रित की. महामारी की पहली लहर जारी होने और ऑक्सीजन की निरंतर मांग होने के बावजूद मनपा ने निविदा की पहले सीमा 11 नवंबर, 2020 की रखी और बाद में ’कुछ पार्टियों को अतिरिक्त समय देने के लिए’ बढ़ाकर 15 दिसंबर, 2020 कर दिया.
पिछले सप्लायर का करार 9 अप्रैल, 2021 को समाप्त हो चुका है और 10 अप्रैल से अगले दो वर्षों के लिए नया अनुबंध शुरू होना था। इससे भी बड़ी हैरान करने वाली बात तो यह है कि सीपीडी ने करार के हिस्से के रूप में जंबो केंद्रों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकताओं को शामिल ही नहीं किया, जबकि कोविड को देखते हुए वहीं पर ऑक्सीजन की अधिक जरूरत पड़ रही है.श्री मिश्रा ने बताया कि जहां तक मुझे जानकारी है– तीन पार्टियों की ओर से इस आपूर्ति के लिए तीन बोलियाँ प्राप्त हुई लेकिन प्रशासन इस आपदा की घड़ी में हाथ पर हाथ देकर गहरी सोया रहा . इसलिए हर मुंबईकर यह जानना चाहता है कि बोली लगाने के 4 महीने बाद भी मेडिकल ऑक्सीजन के लिए आए टेंडर पर क्यों फैसला नहीं लिया गया? आपूर्तिकर्ताओं के साथ मेडिकल ऑक्सीजन के लिए वर्तमान व्यवस्था क्या है और किस दर पर वर्तमान में मेडिकल ऑक्सीजन की खरीदी की जा रही है?, महामारी के बीच ऐसे जीवन रक्षक चीज के लिए निविदा को अंतिम रूप देने में हुई अक्षम्य देरी के लिए कौन जिम्मेदार है?
मनपा का अमानवीय रवैया -सेटिंग न होने से ऑक्सीजन सप्लायर का टेंडर ही नहीं खोला
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