खरी-खरी••••••••••••••○☆अशोक वशिष्ठ
जीवन बोझिल-सा लगे, मनवा रहे उदास।
डरा रहा है हर समय , मृत्यु का अहसास।।
मृत्यु का अहसास , डराता रहता हर पल।
आज अगर बच गये, न जाने क्या होगा कल।।
बच्चे हैं मायूस , नहीं लगता उनका मन ।
चलते-चलते उतर , गया पटरी से जीवन।।
○☆अशोक वशिष्ठ