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कोरोना के नए संकट में बैंक ईएमआई से राहत दें सरकारें -पारसनाथ तिवारी

by zadmin
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कोरोना के नए संकट में बैंक ईएमआई से राहत दें सरकारें -पारसनाथ तिवारी

 मुंबई -(श्रीकेश चौबे) वरिष्ठ राकांपा  नेता पारसनाथ तिवारी ने महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते  कहर, और आर्थिक गतिविधियों के बुरी तरह लड़खड़ा जाने से उत्पन्न हुई स्थिति  के बीच  केंद्र और राज्य सरकार से आम लोगों के लिए राहत पॅकेज देने की मांग की है। उन्होंने आम आदमी और कारोबारी वर्ग द्वारा बैंक से लिए गए लोन पर आने वाली ईएमआई और ब्याज में राहत  देने की जोरदार वकालत की है।  
 श्री तिवारी ने आज एक बयान में कहा कि पूरे प्रदेश में कोरोना का कहर  है। इस समय  आवश्यक सेवाओं को छोड़कर लगभग सारे कामकाज बंद हैं. लेकिन आम आदमी और कारोबारियों द्वारा लिए कर्ज पर ईएमआई लगातार आ रही है। बंदी की स्थिति में ईएमआई कैसे अदा की जाये,यह बहुत बड़ा प्रश्न है.लोगों को ईएमआई से राहत देने के लिए केंद्र और राज्यों को बड़े पॅकेज का एलान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दरअसल औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों के बुरी तरह प्रभावित होने और लोगों के अपने घरों में ही बंद रहने से उन्हें बैंकों को अपनी ईएमआई चुकाने में समस्या हो सकती है। इसलिए ग्राहकों को ईएमआई के भुगतान में थोड़ी राहत मिलनी जरूरी है। बैंक द्वारा समय पर ईएमआई चुकाने की बाध्यता में कुछ राहत देना समय की मांग है ।बता दें कि  पिछले वर्ष बंदी के समय  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंक ग्राहकों को राहत देते हुए जून तक किसी भी एटीएम से पैसे निकालने में लगने वाले शुल्क से छूट दी थी । साथ ही बैंक खाते में न्यूनतम राशि रखने के नियम से भी इस अवधि के दौरान छूट दी गई थी । वहीं स्टेट बैंक  ने खाते में न्यूनतम बैलेंस की बाध्यता को खत्म कर दिया था।
श्री तिवारी ने कहा कि जो लोग स्वरोजगार करते हैं, या छोटे व्यापार से जुड़े हुए हैं, उनके लिए लॉकडाउन की समस्या और भी विकट है। समय पर लोन चुकाने को लेकर वे चिंतित हैं। यदि रिजर्व बैंक  इस संबंध में कोई निर्णय लेता है, तो ऐसे लोगों को काफी राहत मिलेगी. 
 श्री तिवारी ने कहा कि गैर अनुदानित स्कूलों में लाखों टीचर काम करते हैं। साल भर से उनकी इनकम बंद है। गरीब बस्तियों में छोटे छोटे स्कूल चलाने वाले संस्था चालक भी परेशान हैं, क्योंकि सालभर से कोई फीस नहीं आ रही है लेकिन तमाम प्रकार  के खर्चे यथावत जारी हैं । इसलिए इस इन लोगों को बचाने के लिए केंद्र और राज्य को मिलकर विशेष आर्थिक सहायता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार जूनियर वकीलों की भी आमदनी पिछले कई माह से बंद है । सरकार को ऐसे वकीलों की लिस्ट  बार काउंसिल से मांगनी चाहिए और उन्हें भी कुछ न कुछ आर्थिक सहायता देनी चाहिए ताकि सब लोग इस संकट के समय को पार कर सकें  .

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