●खरी-खरी••••••••••••••••••○
अस्पताल फिर भर गये , धधक उठे शमशान।
कोरोना हावी हुआ , दहल उठा इन्सान।।
दहल उठा इन्सान , दूसरा साल चल रहा।
अदना-सा शैतान , दिनोंदिन और फल रहा।।
अर्थव्यवस्था हो रही , दिन पर दिन बेहाल।
घर भी लगने लगे हैं , जेल और अस्पताल। ।
○☆अशोक वशिष्ठ