नए लॉकडाउन का सकारात्मक उपयोग करें – आनंदश्री
लॉकडाउन की फिर से जरूरत आन पड़ी। हालात को देख कर न चाहते हुए भी सरकार को आंशिक रूप से लॉकडाउन घोषित करना पड़ा।
*आंकड़े पर शिकंजा कसना जरुरी है
*ब्रेक दी चैन अभियान के अंतर्गत आंकड़ो पर शिकंजा कसा गया। भारत के कई राज्यो में लॉकडाउन लगा कर संक्रमण को रोकने की तैयारी चल रही है।
लॉकडाउन दुधारी तलवार है
डॉक्टरों को भी रोगी की जान बचाने के लिए कठोर निर्णय लेने पड़ते है। न चाहते हुए भी शरीर के हिस्से को अलग करना पड़ता है। ताकि इंसान जिंदा रहे। सरकार द्वारा भी ऐसा ही निर्णय लिया जा रहा है। लॉकडाउन का निर्णय कठोर हो सकता है लेकिन फिलहाल यही कोरोना को कम करने का तथा खात्मा करने का कदम है।
*अब क्या करे?
*आंकड़ो का बढ़ना, लॉकडाउन का लगना, परिस्थिती का नाजुक होना। ऐसे हालात में क्या करे। आर्थिक, सामाजिक, राजकीय पारिवारिक, शैक्षणिक रूप से सब कुछ थम सा गया। यूं लग रहा है कि सब बर्बाद हो गया। ऐसे न जाने कितने ही नकारात्मक बातों से हम घिर चुके है। यही समय है कुछ करने का। कुछ नया जानने का। कुछ नई शुरुवात करने का।
*आओ नई शुरुवात करे, कुछ नया सीखे*
अपने मन को प्रशिक्षित करते हुए कुछ नया सिखते हैं। कुछ नया हुनर, कुछ नयो किताब, कुछ अध्यात्म तो कुछ नया बनाते है।
*ओशो कहते थे एकांतवास किसी के लिये अवसर है तो किसी के लिए बाधा।*
इस लॉकडाउन को अवसर बनाए, तकलीफ कितनी भी हो, परिस्थितियो से मुकाबला करते हुए आगे बढ़ने का आपका अपना फार्मूला बनाये।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री