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खरी-खरी अशोक वशिष्ठ

by zadmin

खरी-खरी
अजब-ग़ज़ब व्यवहार , लगी है करने दिल्ली।

कभी-कभी लगती है , यह खिसियानी बिल्ली।।

चुनी हुई सरकार , काम ज़्यादा न कर दे ।

सौंप रही है ‘एल जी’ को , सत्ता की किल्ली।।

है इतिहास गवाह , बहुत झेला और खेला ।

राजनीति की नित , सरताज रही है दिल्ली।।

अशोक वशिष्ठ 

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